कृषि वैज्ञानिकों की प्रेरणा से प्रगतिशील युवा कृषक बने संजीत दास ;सफलता की कहानीद्ध

पन्ना 25 अगस्त 18/दसवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर की जिम्मेदारी उठाने के लिए संजीत दास ने खेती को चुना और आज जिले के युवा प्रगतिशील कृषकों में शामिल हो गए हैं।

       पन्ना जिले के ग्राम कुंजवन में रहने वाले संजीत दास के पास डेढ़ एकड़ जमीन है, लेकिन केवल खेती कर 5 सदस्यीय परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो रहा था। वर्षभर में वह मुश्किल से लगभग 50 हजार रूपये कमा पाते थे। इसी दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर बी एस किरार कुंजवन आए। उन्होंने ग्राम के युवाओं को एकत्र कर आमदनी बढ़ाने के लिये फसलों और सब्जियों की खेती के साथ अन्य तरह के उत्पाद के संबंध में प्रशिक्षण दिया। उनके द्वारा युवाओं को फसल उत्पादन के साथ मुर्गीपालन की सलाह दी गई। उन्होंने यह भी बताया कि जो भी युवा इच्छुक होंगे उन्हें भारतीय स्टेट बैंक के ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान ;आरसेटीद्ध पन्ना में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उनकी प्रेरणा से संजीत दास ने आरसेटी पन्ना में मुर्गीपालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया और मुर्गीपालन का व्यवसाय प्रारंभ कर दिया।

    वह एक बार में 10 हजार चूजे पालते हैं और एक माह में उन्हें तैयार कर बेच देते हैं। इस तरह वह साल भर में 10 बैच/लाॅट की बिक्री करते हैं। इससे उन्हें सलाना 5 लाख रूपये की आमदनी हो जाती है। साथ ही वह 5 लागों को साल भर रोजगार भी देते हैं। अब संजीत दास ने मुर्गीपालन के साथ मांगूर मछली का पालन भी स्थानीय बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुये शुरू कर दिया है। इन मछलियों की ब्रिकी गांव में ही हो जाती है। इस तरह मछली पालन से भी वह डेढ़ से 2 लाख रूपये कमा लेते हैं। संजीत दास आज जिले के कृषि वैज्ञानिकों के सतत संपर्क में रहकर समन्वित कृषि पद्धति को अपनाकर एक सफल प्रगतिशील युवा कृषक बन गए हैं। अब आगे वह कृषि वैज्ञानिकों से कड़कनाथ मुर्गी के चूजे की उपलब्धता पर चर्चा कर चूजे तैयार करने की एक मशीन खरीदने की भी योजना बना रहे हैं।
समाचार क्रमांक 335-2586

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