वैज्ञानिकों द्वारा सलैया एवं हरसा में तिल प्रदर्शन का भ्रमण

वर्तमान मे फसल की वृद्धि शाखाओं एवं फलन को देखते हुये कृषक टी.के.जी. 308 किस्म से काफी खुश है और आगे इस किस्म को काफी क्षेत्र मे लगायेंगे और अन्य किसानांे को देकर फैलायेंगे। किसान फसल की स्थिति को देखते हुये 3-4 क्विंटल/एकड़ उत्पादन का अनुमान लगा रहे है। कृषक संगोष्ठी के दौरान तिल के प्रमुख रोग एवं कीट के बारे में बताया गया और तिल में फाइटोफ्थोरा अंगमारी रोग से पत्तियों तथा तने पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है जो बाद में काले हो जाते है जिसके नियंत्रण हेतु रिडोमिल एम.जेड़ 500 ग्राम/एकड़ या काॅपर आॅक्सीक्लोराइड 400-500 ग्राम/एकड़ का घोल बनाकर छिड़काव करे तथा तिल मे प्रमुख कीट पत्ती एवं फली छेदक के नियंत्रण हेतु बिवेरिया बेसियाना प्रोफेनोफाॅस दवा का छिड़काव करे तथा तिल पिटिका मक्खी की इल्ली फलियो के अंदर फूल को नुकसान पहुंचाती है इसके नियंत्रण हेतु प्रोफेक्स सुपर या ट्राइजोफाँस 40 ई.सी. दवा का छिड़काव करने की सलाह दी गयी।
समाचार क्रमांक 336-2587
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