गर्मी की गहरी जुताई फसलोत्पादन के लिए लाभकारी-डाॅ किरार
पन्ना 21 अप्रैल 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ0 बी.एस. किरार एवं वैज्ञानिक डाॅ0 आर.के. जायसवाल द्वारा किसानों को गर्मी की गहरी जुताई करने की सलाह दी गई। रबी फसल कटने के बाद अप्रैल से जून तक मिट्टी पलटने वाले हल, एम.पी. प्लाऊ या डिस्क प्लाऊ से की जाने वाली जुताई को ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई कहते हैं। यह जुताई फसलोत्पादन के लिए बहुत लाभदायक होती है। प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार गर्मी में गहरी जुताई अवष्य करना चाहिए। क्योंकि एक ही प्रकार के कृषि यंत्रो से जैसे देषी हल या कल्टीवेटर द्वारा खेतों की जुताई करते रहने के कारण भूमि में एक निष्चित गहराई पर एक कठोर परत बन जाती है जिससे जल धारण क्षमता कम हो जाती है साथ ही भूमि की गुणवत्ता एवं भौतिक संरचना में गिरावट आ जाती है। इसलिए भूमि की गुणवत्ता में सुधार के लिए रवी फसल कटने के बाद गर्मी की गहरी जुताई अवष्य करना चाहिए। गर्मी की गहरी जुताई के लिए अप्रैल का अंतिम सप्ताह या मई का प्रथम सप्ताह इसके लिए उपयुक्त रहता है। ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई के लाभ के अंतर्गत ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई करने से मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि हो जाती है क्योंकि लगातार एक ही यंत्र से जुताई करते रहने से मृदा में एक निष्चित गहराई पर एक कठोर परत बन जाती है। जिस कारण मृदा में जल अवषोषण क्षमता एवं वायु संचार अवरूद्ध हो जाता है, लेकिन गहरी जुताई करने से भूमि में वायु संचार एवं जलधारण क्षमता में वृद्धि हो जाती है तथा गहरी जुताई से जैव पदार्थ सड़कर पोषक तत्वों में बदल जाते हैं।
उन्होंने बताया कि सूक्ष्म जीवों को अधिक मात्रा में आक्सीजन मिल जाती है व हानिकारिक गैस बाहर निकलती है। गहरी जुताई से मिट्टी अच्छी तरह से पलट जाने से सूर्य की किरणें सीधी मृदा के अन्दर पहुंचती हैं। जिससे मृदा के तापमान में वृद्धि होती है और साथ ही मृदा की भौतिक संरचना मेें सुधार दिखता है। जुताई से खरपतवारों के अवषेष भूमि में दब जाते हैं और बाद में मानसून की वर्षा या सिंचाई के पानी सेे सड़कर कार्बनिक पदार्थों में विलय हो जाता है तथा मिट्टी की जैविक दषा में सुधार आता है। क्योंकि एक ही सतह पर लगातार कृषि कार्य करते रहने से कई प्रकार के रसायनों के प्रयोग से भूमि में उपलब्ध लाभप्रद जीव नष्ट हो जाते हैं। जिससे मृदा अनुपजाऊ बनती चली जाती है। गर्मी की गहरी जुताई से खरपतवारों का नियंत्रण भी होता है और भूमि में उपलब्ध हानिकारिक कीटों उनके अण्डे, प्यूपा एवं फफंूद तेज धूप से खत्म हो जाते हैं चिड़ियां द्वारा भी कीड़ों को खा लिया जाता है। गहरी जुताई से मृदा क्षरण में रूकावट आती है। जो खेत जुते नहीं होते हैं वहां से पानी तेज गति से बहता है और वह ऊपरी सतह की ऊपजाऊ मिट्टी को बहा ले जाता है। गर्मी की गहाई करने से भूमि की भौतिक दषा में भी सुधार होता है साथ ही जैविक पदार्थो का विकास तथा मित्र कीटों की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
समाचार क्रमांक 192-1110
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