रचनात्मक पहल से सफलता का सृजनः सेवा के सधे हाथ, कार्य कर रहे साथ-साथ

ष्षासकीय माध्यमिक षाला पुराना पन्नासमावेषी षिक्षा में एक आदर्ष पाठषाला के रूप में सुस्थापित हो गई है। इस षाला में बच्चों की नियमित उपस्थिति है। षिक्षा मंदिर में बच्चे उमंग- उत्साह से पढ़ने आते हैं। बच्चे समूह में बैठकर पढ़ते हैं और सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि सामान्य और दिव्यांग विद्यार्थी एक साथ मिल-जुल कर लिखना पढ़ना सीख रहे हैं और यही दृष्य प्रदेष सरकार की ”समानता के लिये षिक्षा“ के स्वरूप का आभास कराता है।
समय-समय पर षासन की षिक्षा नीति में आवष्यकतानुसार गुणात्मक सुधार होता गया । सन् 2005 में सर्व षिक्षा अभियान योजना अस्तित्व में आई। उसके अंतर्गत पुराने पन्ना क्षेत्र में दिव्यांग बच्चों की आवष्यकता को देखते हुए उनके अनुकूल एक छात्रावास का निर्माण कराया गया। इस छात्रावास में श्रवण बाधित, दृष्टि बाधित, मंद बुद्वि एवं अंग बाधित 50 दिव्यांग विधार्थियों के निवास की समुचित व्यवस्था है। यहां यह रेखांकित करना उचित प्रतीत होता है कि षासन ने अपनी बहुआयामी षिक्षा नीति के तहत साधन सुलभ कराये, जिला प्रषासन पन्ना ने षासन द्वारा उपलब्ध कराये गये साधनों का षासन के उद्देष्य के अनुकूल उपयोग हो, इसका पूरा ध्यान रखा और षासकीय, माध्यमिक षाला के षिक्षकों ने षासन और जिला प्रषासन को अपना श्रेष्ठतम सहयोग दिया, जिसका सुफल यह है कि विगत सत्र तक 97 दिव्यांग बच्चे कक्षा आठ उत्तीर्ण कर प्रगति पथ पर अग्रसर हैं। इतना ही नहीं, इन 97 विद्याार्थियों में से दृष्टिबाधित संजय बागरी ग्राम तिघरा बुजुर्ग गुनोद, श्रवणबाधित दानवेन्द्र दीक्षित ग्राम इटमा ब्रजपुर तथा अभिषेक सेन, ग्राम चन्द्रनगर छतरपुर का चयन राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट परीक्षा में हुआ । नि-संदेह एक ओर जहां दिव्यांग बच्चों की यह विषिष्ठ उपलब्धि षासन, जिला प्रषासन और स्कूल प्रबंधन के कर्तव्य भाव से सुव्यवस्थित और समन्वित प्रयास की एक नई परिभाषा को षब्दंाकित कर रही है वहीं दूसरी ओर इस सत्य की तरफ भी इषारा कर रही है कि यदि दिव्यांग बच्चों को षिक्षित किया तो वे भी प्रगति मे बराबरी से सहभागिता दे सकते हैं ।
ष्षासन की समावेषित षिक्षा नीति के कारण समाज की मुख्यधारा में षामिल हो रहे दिव्यांग बच्चों की प्रगति के केन्द्र में है, पन्ना जिला प्रषासन की कर्तव्यनिष्ठा । पन्ना जिला प्रषासन ने व्यापक जनहित में अधिकारियों , पत्रकारों , सेवाभावी नागरिकों तथा बुद्विजीवियों से संवाद स्थापित कर सहयोग लिया । जिले के कलेक्टर बदलते रहे पर कर्तव्यनिष्ठ सहयोग अनवरत जारी है । सभी के समन्वित प्रयास से षाला क्षेत्र बाउण्ड्री वाॅल से सुरक्षित हो गया, षाला प्रांगण में ही षुद्व पेयजल की व्यवस्था हो गई और षौचालय में सुधार कार्य हो गया । षाला प्रांगण साफ-स्वच्छ रहने लगा । षाला के षिक्षण स्तर में गुणात्मक सुधार कार्य हो गया और इन सबसे षाला की छबि में निखार आया और इसके साथ ही सेवा के सधे हाथों की रचनात्मक पहल से सफलता की एक नई कहानी का सृजन हो गया ।
समाचार क्रमांक 184-2118
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