बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 विभिन्न धाराओं में दण्ड एवं जुर्मान का प्रावधान
पन्ना 14 जुलाई 18/न्यायालय बाल कल्याण समिति जिला पन्ना से प्राप्त जानकारी के अनुसार किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75 में बालक के प्रति क्रूरता के लिए धारा 79 मंे किशोर बालक कर्मचारी के शोषण के लिए धारा 82 में नियोजित किसी संस्था में बालक को शारीरिक दण्ड देता है तो किशोर न्याय (बालकांे की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के अनुसार विभिन्न धाराओं में दण्ड एवं जुर्माने का प्रावधान किया गया है। बाल कल्याण समिति ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 30 की उपधारा 2 के अधीन बालकों की सुरक्षा और भलाई से संबंधित एवं उनको प्रभावित करने वाले मुद्दों की जांच किया जाना सुनिश्चित किया है।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 30 के अन्तर्गत कंडिका 3 के अन्तर्गत जांच हेतु बाल कल्याण अधिकारियों अथवा/और, परिवीक्षा अधिकारी अथवा /और, बाल संरक्षण अधिकारी (टीम) अथवा और गैर सरकारी संगठनों को सामाजिक अन्वेषण करने और समिति के समक्ष प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए जाने का निर्णय लिया है। अधिनियम की धारा 2 की उपधारा 14 से अभिप्रेत किशोर/किशोरियों के माता-पिता, संरक्षक, भारसाधक, नियोजक, दुष्प्रेरक इत्यादि को समिति के माध्यम से सूचित किया जाता है कि अधिनियम से अवगत होते हुए अपराध किए जाने का प्रयास न करें अन्यथा एवं विभिन्न अन्य बाल संरक्षण अधिनियमों एवं प्रावधानों के अन्तर्गत अपराध के लिए दण्डात्मक कार्यवाही की जा सकती है।
अन्तरिम आदेश
श्रम पदाधिकारी पन्ना, जिला बाल संरक्षण अधिकारी पन्ना, अनु. अधिकारी पुलिस (बाल कल्याण पुलिस अधिकारी) कोतवाली पन्ना तथा समन्वयक चाईल्ड लाईन पन्ना/पवई को बाल श्रम अधिनियम, बंधक मजदूर अधिनियम एवं लैंगिक अपराधों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अन्तर्गत उपरोक्त बिन्दुओं के आधार पर, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 30 (2) एवं (16) के तहत समिति के समक्ष एक सप्ताह के भीतर (17 जुलाई 2018) तक जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का अन्तरिम आदेश जारी करती है।
समाचार क्रमांक 176-2110
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