अनिरूद्ध ने जीती मौत से जंग बचपन में ही मलद्वार की सर्जरी, हार्ट की सर्जरी और कुपोषण, इतना कुछ सहा है अनिरूध्द ने

पन्ना 13 मई 18/अनूप के घर खुषिया ंतो आईं पर जैसे किसी की नजर लग गई हो । विवाह के बाद जब अनूप और सुष्मिता की पहली संतान अनिरूद्ध ने जन्म लिया तो उनका पूरा परिवार खुषियों से भरा उठा। श्री अनूप सोनी पन्ना शहर के वार्ड क्र. 12 सिंचाई काॅलोनी के निवासी हैं। अनिरूद्ध अपने दादा श्री विनोद सोनी का पहला पोता है। उसके आने से जैसे उसके दादा का बचपन भी लौट आया था। अनिरूद्ध के इस दुनिया में आने के पूर्व से ही दादी कृष्णा सोनी ने अपने सारे फर्ज निभाने शुरू कर दिए थे। पर जैसे उनकी खुषियों को किसी की नजर लग गई और अनिरूद्ध को जन्म के बाद से अपनी जिंदगी के लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ा। लेकिन आज अनिरूद्ध मौत से जंग जीतकर पूरी तरह स्वस्थ हो चुका है। जिसमें माता-पिता के साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सुपरवाईजर, परियोजना अधिकारी और जिले के डाॅक्टर्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
              बहू सुष्मिता के गर्भवती होेते ही सासू मां बिना देर किए अपने नजदीकि आॅगनवाडी केन्द्र पहुंच गई थीं। वहां उन्होने बहू का स्वास्थ्य परीक्षण कराया एवं पंजीयन भी करवा दिया। जिसके बाद मंगलवार के दिन आंगनवाड़ी कार्यकर्ता श्रीमति कुसुम शुक्ला द्वारा धूम-धाम से गोद भराई की रस्म निभाइ्र्र गई। कार्यकर्ता द्वारा आगे भी समय-समय पर सुष्मिता की जांच कराई गई और सभी टीके भी लगवाये गये। जिसके बाद वह दिन आया जिसका सबको बेसब्री से इंतजार था। जिला स्वास्थ्य केन्द्र पन्ना में 14 अप्रैल 2017 को सुष्मिता ने परिवार के नए सदस्य अनिरूद्ध को जन्म दिया। पूरा परिवार नए मेहमान के आने की खुषियां मना रहा था। तभी पता चला कि अनिरूद्ध के शरीर में मल द्वार ही नही हैं। इससे उनका परिवार चकित रह गया। चिंतित होकर उन्होने आॅगनवाडी कार्यकर्ता से संपर्क किया।
              आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की सलाह पर डाॅक्टरों से संपर्क कर वे बच्चे को जबलपुर ले गये  जहाॅ आॅपरेशन कर अनिरूद्ध का मल द्वार खोला गया। बच्चे के जन्म के बाद से ही कार्यकर्ता द्वारा अनिरूद्ध का पंजीयन आॅगनवाडी केन्द्र में कर दिया गया था जिसके बाद वह लगातार संपर्क में बनी रहीं। कार्यकर्ता द्वारा बच्चे व परिवार के साथ घटित पूरी वाक्या परियोजना अधिकारी श्रीमती रेखा बाला सक्सेना एवं पयवेक्षक श्रीमति किरण खरे को बताया गया। जिसके बाद से परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षक ने अनिरूद्ध पर हमेषा विषेष ध्यान रखा। बच्चे पर सतत निगरानी रखी। इस दौरान उन्होंने पाया कि अनिरूद्ध की आयु के हिसाब से उसका वजन नही बढ़ रहा है और अनिरूद्ध कुपोषण ग्रस्त होता जा रहा हैं। इससे कार्यकर्ता एवं समस्त अधिकारियों ने चिंतित हो कर अनिरूद्ध के परिजनों से भेंट की। परिजनों को कई बार समझाईष और प्रेरणा देकर नन्हें अनिरूद्ध को पोषण पुर्नवास केन्द्र पन्ना में भर्ती कराया गया। जहाॅ डाॅ डी0के0गुप्ता द्वारा स्वास्थय परीक्षण कर बताया कि अनिरूद्ध को गंभीर समस्या है। ं किसी बडे शहर/हाॅस्पिटल में स्वास्थ्य परीक्षण कराने की आवष्यकता है।
           जिसके बाद परिजनों ने सतना में जाॅच कराई। जांच के बाद पता चला कि अनिरूद्ध के हार्ट में 02 छेद हैं। एक के बाद एक परेषानी के सामने आने से अनिरूद्ध के परिजन घबराने लगे थे। बिना देर किये उन्होने बैंगलोर में रह रहे अपने रिष्तेदारों से संपर्क कर एन0एच0 नारायण हाॅस्पिटल में 23 फरवरी 2018 को अनिरूद्ध का आॅपरेषन कराया। आॅपरेशन सफल रहा। 08 अप्रैल 2018 को नन्हा अनिरूद्ध मौत से जंग जीत कर अपने घर वापिस आ गया है। आज अनिरूद्ध पूरी तरह से स्वस्थ हैं । अपने लाड़ले अनिरूद्ध को खुशहाल और स्वस्थ देख पूरा परिवार खुश हैं और परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक, कार्यकर्ता एवं पूरे महिला बाल विकास विभाग को दुआएॅ देते नही थकता और कहता है कि आप सभी के सहयोग और समय पर जानकारी देने से ही नन्हे अनिरूद्ध को नया जीवन मिला सका है।
समाचार क्रमांक 123-1321

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