वैज्ञानिकों द्वारा कम वर्षा की स्थिति में कृषकों के लिए समसामयिकी सलाह
पन्ना 18 जुलाई 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना में डाॅ0 बी. एस. किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डाॅ0 आर0 के0 जायसवाल एवं श्री डी0 पी0 सिंह द्वारा कृषकों को कम वर्षा की स्थिति में तकनीकी सलाह दी गयी। डाॅ. किरार ने बताया कि धान, सोयाबीन, उड़द, अरहर, मूंग एवं ज्वार आदि की उन्नत किस्मों को फफूंदनाशक दवा थायरम (75 डब्लू, पी,) 2 ग्राम तथा कार्बेन्डिाजिम (50 डब्लू पी) दवा 1 ग्राम दोनों की मिलाकर 3 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज या कार्बोक्सीन (37 प्रतिशत) थायरम (37 प्रतिशत) दवा 2 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार कर बुवाई करें।
उन्होंने बताया कि जैविक फफूंदनाशक दवा ट्रायकोडर्मा विरडी 10 मिली प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। सोयाबीन, उड़द या मूंग को सफेद मक्खी, तना मक्खी एवं पीला मोजेक की समस्या से बचाव हेतु कीटनाशक दवा थायोमेथोक्जाम (30 एफ. एस.) दवा 10 मिली./कि.ग्रा. बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ. एस. दवा 1.25 मिली. प्रति कि.ग्राम बीज की दर से उपचारित के बाद राइजोबियम एवं पी. एस. बी. कल्चर 10-10 मिली. प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। जो कृषक धान की खेती करना चाहते हैं उन्हें कम अवधि की धान प्रजाति दन्तेश्वरी, सहभागी, सहभागी, एम.टी.यू. 1010 का चयन करें और वर्तमान स्थिति में धान की बुआई कतारों में 20-22 से.मी. की दूरी पर करें। यदि धान का पौध (जामा) 25 दिन से ज्यादा हो गया हो ऐसी स्थिति में धान की रोपाई 15×10 सेमी. की दूरी पर करें साथ ही साथ एक स्थान पर 2-3 पौध (जामा) लगाए। धान की बुवाई के समय डी. ए. पी. 50 कि.ग्रा. या सिंगल सुपर फास्फेट 125 कि.ग्रा. और म्यूरेट आॅफ पोटाश 15 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। रोपा लगाने या बुवाई के बाद डी.ए.पी. या सिंगल सुपर फास्फेट न डाले तथा धान में तीन वर्ष में एक बार 10 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट अवश्य डालें। सोयाबीन, उड़द, मूंग एवं अरहर की बुवाई कूड एवं नाली विधि रिज एण्ड फरोे या रिज्ड बेड प्लन्टर से करना चाहिए।
समाचार क्रमांक 227-2161
उन्होंने बताया कि जैविक फफूंदनाशक दवा ट्रायकोडर्मा विरडी 10 मिली प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। सोयाबीन, उड़द या मूंग को सफेद मक्खी, तना मक्खी एवं पीला मोजेक की समस्या से बचाव हेतु कीटनाशक दवा थायोमेथोक्जाम (30 एफ. एस.) दवा 10 मिली./कि.ग्रा. बीज या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ. एस. दवा 1.25 मिली. प्रति कि.ग्राम बीज की दर से उपचारित के बाद राइजोबियम एवं पी. एस. बी. कल्चर 10-10 मिली. प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें। जो कृषक धान की खेती करना चाहते हैं उन्हें कम अवधि की धान प्रजाति दन्तेश्वरी, सहभागी, सहभागी, एम.टी.यू. 1010 का चयन करें और वर्तमान स्थिति में धान की बुआई कतारों में 20-22 से.मी. की दूरी पर करें। यदि धान का पौध (जामा) 25 दिन से ज्यादा हो गया हो ऐसी स्थिति में धान की रोपाई 15×10 सेमी. की दूरी पर करें साथ ही साथ एक स्थान पर 2-3 पौध (जामा) लगाए। धान की बुवाई के समय डी. ए. पी. 50 कि.ग्रा. या सिंगल सुपर फास्फेट 125 कि.ग्रा. और म्यूरेट आॅफ पोटाश 15 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें। रोपा लगाने या बुवाई के बाद डी.ए.पी. या सिंगल सुपर फास्फेट न डाले तथा धान में तीन वर्ष में एक बार 10 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट अवश्य डालें। सोयाबीन, उड़द, मूंग एवं अरहर की बुवाई कूड एवं नाली विधि रिज एण्ड फरोे या रिज्ड बेड प्लन्टर से करना चाहिए।
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