वैज्ञानिकों द्वारा सब्जियों में कीट प्रबंधन की कृषकों को सलाह
पन्ना 02 मई 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डाॅ. बी. एस. किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं डाॅ0 आर.के. जायसवाल वैज्ञानिक द्वारा गांव तिलगवां एवं जनवार में सब्जी उत्पादक के कृषकांे को कीट प्रबंधन पर सलाह दी गयी है। वैज्ञानिकों द्वारा दिनेश कुशवाह, जीतन कुशवाह, गोविन्द कुशवाह, खिल्लू, बैजनाथ, ओमप्रकाश एवं देवी सिंह, हरीलाल कुशवाह जनकपुर के खेतों पर कद्दूवर्गीय, सब्जी, भिण्डी, टमाटर एवं प्याज के खेतों का भ्रमण कर उन्हंे समसामयिकी सलाह दी गई। कद्दूवर्गीय सब्जी ककड़ी लौकी, कुम्हडा में लाल कीड़ा एवं सेमीलूपर कीट एवं पीला मौजेक विषाणु की समस्या देखी गई। लाल कीट प्रबंधन हेतु डायक्लोरोवास 76 प्रतिशत ई.सी. 200 मिलीलीटर प्रति एकड़ सेमीलूपर के लिए ट्रायाजोफास 40 प्रतिशत ई.सी. या साईपरमेथ्रिन 10 प्रतिशत ई.सी. मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। कद्दूवर्गीय सब्जी और भिण्डी में पीला मौजेक विषाणु रोग को फैलाने वाली सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 80-100 मिली लीटर प्रति एकड़ का 200 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि टमाटर के फलों का अंतिम छोर सड़ने की पहचान फल के हरे रहने पर ही उसके निचले सिरे पर धब्बे पड़ने लगते हैं तथा बीच में पानी सोखने जैसा निशान बन जाता है। अन्त में फलों में सड़न शुरू हो जाता है। इस समस्या का प्रमुख कारण नमी का कम होना तथा वाष्पोत्सर्जन की क्रिया कम होना जिसके कारण पौधों में कैल्शियम का अवषोषण कम हो जाता है और फल में कैल्शियम की मात्रा घट जाती है। इसके समाधान हेतु कैल्सियम क्लोराईड 5 ग्राम प्रति ली. का घोल बनाकर फल बनते समय छिड़काव करें तथा खेत में नमी का उचित स्तर बनाये रखें और पौधों को सहारा देकर रखना चाहिए। टमाटर का फल तेज सूर्य के प्रकाश से जलने (सन स्केल) के कारण फल के ऊपर पानी सोखने जैसा निशान पड़ जाता है। प्रभावित स्थान का रंग हरे फल में सफेद/भूरा एवं पके फल में पीला हो जाता है। इसके निवारण हेतु टमाटर की चैड़ी पत्ती वाली किस्मों का चयन करें। गर्मी की फसल में टमाटर के साथ अन्तरवर्तीय फसल के रूप में मक्का एवं ढैंचा लगाना चाहिए। जो टमाटर को छाया प्रदान करके फलों को तेज धूप से बचा सकें। भिण्डी, बैगन एवं टमाटर में फल भेदक कीट के नियंत्रण हेतु साईपरमेथ्रिन 25 प्रतिशत ई.सी. 50-60 मि.ली. प्रति एकड़ का 200 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। भिण्डी में चित्तीदार इल्ली की छोटी इल्लियां कोमल शाखाओं में छेद करके अन्दर चली जाती है तथा शाखाओं को अन्दर ही अन्दर खाती है। इसके कारण प्रभावित शाखाऐं मुरझा जाती हैं। जब पौधों में कलियां, फूल एवं फल लगने लगते हैं तब इल्लियां इसको हानि पहुंचाती है। प्रभावित कलियां नहीं खिलती हैं तथा फूल झड़ने लगते हैं। क्षतिग्रस्त फलों मंे इल्ली की विष्ठा भरी रहती है। इसके नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में कीट से प्रकोषित प्ररोह (शाखाओं) को चुनकर इल्ली को नष्ट करें। जमीन पर गिरी हुई कालिकाओं तथा क्षतिग्रस्त फलों को इल्लियों सहित तोड़कर नष्ट करें। प्याज में थ्रिप्स कीट पौधों का रस चूस कर अधिक हानि पहुंचाते हैं। ये बहुत ही छोटे होते हैं। जिससे पत्तियां उपर किनारे से सूखने लगती हैं। पत्तियांे का रंग भूरा हो जाता है और पत्तियां ऐंठ जाती हैं इसके नियंत्रण के हेतु आक्सीडेमेटान मेथाईल 25 प्रतिशत ई.सी. 300-400 मि.ली. या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल 80-100 मिली. प्रति एकड़ का घोल बनाकर छिड़काव करें।
समाचार क्रमांक 17-1215
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