सिंहपुर में वैज्ञानिकों द्वारा बैगन फसल का अवलोकन

पन्ना 03 मई 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डाॅ. बी. एस. किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं डाॅ0 आर. के. जायसवाल वैज्ञानिक द्वारा ग्राम सिंहपुर, प्रतापपुर, खोरा, नयागांव में गत दिवस भ्रमण किया गया। भ्रमण के दौरान सब्जी उत्पादक रामप्रसाद साहू, कौषल किषोर मिस्त्री एवं रामलगन पाल आदि कृषकों के खेतों पर बैंगन में कीट व्याधियों से ग्रसित पौधों का अवलोकन कर उन्हें कीड़े एवं बीमारियों के नाम से अवगत कराया गया। बैंगन का लघुपत्र रोग एक घातक एवं प्रमुख बीमारी है। इस रोग से ग्रसित पौधे में फूल और फल नहीं आते हैं। रोगग्रस्त पत्तियां अत्यधिक छोटी एवं समूह मंे दिखाई देती हैं। पत्तियां तने से चिपकी प्रतीत होेती हैं पूरा पौधा साड़ीनुमा आकृति का दिखाई देता है। इस रोग का फैलाव रस चूसने वाले कीट से होता है। इसके नियंत्रण के लिए पौधें को लगाने से पहले कार्बोफ्यूरान 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या थायोमिथाक्जाम 3 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल में 24 घंटे डुबोकर लगायें और खड़ी फसल में मेटास्टिाक्स 1 मिली. प्रति लीटर पानी या इमिडाक्लेरोप्रिड 0.5 मिली. प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।

    उन्होंने बताया कि बैगन के कुछ पौधों में पत्ती धब्बा एवं फल गलन की समस्या देखी गई। इस रोग में पत्तियों पर भूरे रंग के गोल एवं अनियमित आकार के धब्बे एवं इन पर काले रंग के बिन्दु के समान फफूंदी संरचना दिखाई देती है। फलों मंे गड्ढेदार धब्बे होते हैं तथा फल सड़ जाते हैं। इसके नियंत्रण हेतु मेंकोजेब 3 ग्राम या कार्बेण्डाजिम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। बैगन में तना छेदक एवं फल भेदक से ग्रसित पौधे भी देखे गये। इस कीट की इल्ली सबसे पहले कोमल शाखाओं मंे प्रवेष कर अन्दर ही खाती रहती है। जिससे शाखा मुरझाकर लटक जाती है और बाद में सूख जाती है। फल लगने पर इल्ली ठंडल के पास से फल के अन्दर चली जाती है और फल के गूदे को खाती है। जिससे गूदा खराब हो जाता है और फल टेडे-मेढ़े हो जाते हैं। इसके नियंत्रण हेतु क्यूनोलफाॅस 20 $ साइपरमेथ्रिन 3 प्रतिषत ई.सी. 200 मिली या 4 साईपरमेथिन 25 प्रतिषत ई.सी. 60-70 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी मेें घोल बनाकर छिड़काव करें।
समाचार क्रमांक 26-1224

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