तेजस्वनी महिलाएं देशी भैंसों से चला रही दुग्ध संकलन केन्द्र खोरा केन्द्र से 300 लीटर एवं निजामपुर से 150 लीटर तक दूध की खरीदी कर दे रही सांची को
पन्ना 20 मार्च 18/पन्ना जिले में तेजस्वनी कार्यक्रम के अन्तर्गत महिलाओं के संस्थागत विकास की प्रक्रिया निरंतर जारी है। इसके तहत महिलाओं के समूह का गठन, आपसी लेनदेन की देखरेख, बैंक लिंकेज, क्षमता संवर्धन एवं व्यक्तिगत समृद्धि के लिए आजीविका प्रदाय करना आदि अनेक गतिविधियां शामिल हैं। इसी क्रम में जिले के अजयगढ़ क्षेत्र में गठित बुन्देलखण्ड अजेय तेजस्वनी महिला महासंघ ने देशी नस्ल की भैंसों से डेयरी संचालन की पहल की है। आजीविका गतिविधि से जुडकर भैंस पालन के साथ-साथ डेयरी व्यवसाय मंे मिल रहे लाभ से समूह के सदस्य काफी खुश हैं।
इस संबंध में चर्चा करने पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक तेजस्वनी परियोजना श्री संजीव सिंह ने बताया कि बुन्देलखण्ड अजेय तेजस्वनी महासंघ अजयगढ के माध्यम से क्षेत्र के अन्य क्लस्टरों में गठित समूह सदस्यों को आजीविका गतिविधि से जोडने के लिए क्षेत्र का सर्वे कराया गया। सर्वे से ज्ञात हुआ कि यहां आजीविका का प्रमुख साधन कृषि एवं भैंस पालन है। देशी नस्ल की भैंस 2 से 3 लीटर दूध प्रतिदिन देती हैं। इन भैंसों के लिए अनुकूलित वातावरण आवश्यक होता है। समूह सदस्यों के पास दूध विक्रय का साधन न होने के कारण 25 से 30 रूपये लीटर की दर से दूध बेच दिया करती थी। तब बुन्देलखण्ड अजेय तेजस्वनी महिला महासंघ द्वारा अन्य क्लस्टर के समूहों को आजीविका गतिविधि से जोडते हुए डेयरी संचालन का निर्णय लिया गया। इसकी शुरूआत समूह ने खोरा एवं निजामपुर क्लस्टर से की।
तेजस्वनी कार्यक्रम के सहयोग से 25 अप्रैल 2017 को खोरा एवं निजामपुर में दुग्ध संकलन केन्द्र की स्थापना की गयी। खोरा दुग्ध संकलन केन्द्र में 451 सदस्य एवं निजामपुर दुग्ध संकलन केन्द्र में 220 सदस्यों को लाभान्वित किया गया है। समूह की महिलाएं भैंस पालन के साथ-साथ अब गाय का पालन भी करने लगी हैं। पशुओं के आहार से लेकर उनके अन्य प्रति उत्पादों की व्यवस्था का कार्य समूह की महिलाएं स्वयं करती हैं। वर्तमान में खोरा दुग्ध संकलन केन्द्र द्वारा प्रतिदिन 250 से 300 लीटर एवं निजामपुर में 100 से 150 लीटर दूध की खरीद की जा रही है। क्रय किए गए दूध को सांची दूध डेयरी अजयगढ को विक्रय किया जाता है। पहले जहां महिलाएं 25 से 30 रूपये प्रति लीटर की दर से दूध का विक्रय कर दिया करती थी। आज वे डेढ़ से दो गुना लाभ कमा रही हैं। इससे दुग्ध संकलन केन्द्र खोरा एवं निजामपुर को प्रतिमाह 10 से 15 हजार रूपये का शुद्ध लाभ भी प्राप्त हो जाता है। समूह के 184 सदस्यों को शासकीय पशु चिकित्सक द्वारा आजीविका गतिविधि क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण दिलाया गया है। आजीविका गतिविधि से जुडने के बाद समूह के सदस्यों में काफी उत्साह है और वे इस व्यवसाय का आनन्द उठा रहे हैं। अगले क्रम में अन्य क्लस्टरों के समूहों को भी जोडने की योजना है।
समाचार क्रमांक 187-773
इस संबंध में चर्चा करने पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक तेजस्वनी परियोजना श्री संजीव सिंह ने बताया कि बुन्देलखण्ड अजेय तेजस्वनी महासंघ अजयगढ के माध्यम से क्षेत्र के अन्य क्लस्टरों में गठित समूह सदस्यों को आजीविका गतिविधि से जोडने के लिए क्षेत्र का सर्वे कराया गया। सर्वे से ज्ञात हुआ कि यहां आजीविका का प्रमुख साधन कृषि एवं भैंस पालन है। देशी नस्ल की भैंस 2 से 3 लीटर दूध प्रतिदिन देती हैं। इन भैंसों के लिए अनुकूलित वातावरण आवश्यक होता है। समूह सदस्यों के पास दूध विक्रय का साधन न होने के कारण 25 से 30 रूपये लीटर की दर से दूध बेच दिया करती थी। तब बुन्देलखण्ड अजेय तेजस्वनी महिला महासंघ द्वारा अन्य क्लस्टर के समूहों को आजीविका गतिविधि से जोडते हुए डेयरी संचालन का निर्णय लिया गया। इसकी शुरूआत समूह ने खोरा एवं निजामपुर क्लस्टर से की।
तेजस्वनी कार्यक्रम के सहयोग से 25 अप्रैल 2017 को खोरा एवं निजामपुर में दुग्ध संकलन केन्द्र की स्थापना की गयी। खोरा दुग्ध संकलन केन्द्र में 451 सदस्य एवं निजामपुर दुग्ध संकलन केन्द्र में 220 सदस्यों को लाभान्वित किया गया है। समूह की महिलाएं भैंस पालन के साथ-साथ अब गाय का पालन भी करने लगी हैं। पशुओं के आहार से लेकर उनके अन्य प्रति उत्पादों की व्यवस्था का कार्य समूह की महिलाएं स्वयं करती हैं। वर्तमान में खोरा दुग्ध संकलन केन्द्र द्वारा प्रतिदिन 250 से 300 लीटर एवं निजामपुर में 100 से 150 लीटर दूध की खरीद की जा रही है। क्रय किए गए दूध को सांची दूध डेयरी अजयगढ को विक्रय किया जाता है। पहले जहां महिलाएं 25 से 30 रूपये प्रति लीटर की दर से दूध का विक्रय कर दिया करती थी। आज वे डेढ़ से दो गुना लाभ कमा रही हैं। इससे दुग्ध संकलन केन्द्र खोरा एवं निजामपुर को प्रतिमाह 10 से 15 हजार रूपये का शुद्ध लाभ भी प्राप्त हो जाता है। समूह के 184 सदस्यों को शासकीय पशु चिकित्सक द्वारा आजीविका गतिविधि क्षमता संवर्धन प्रशिक्षण दिलाया गया है। आजीविका गतिविधि से जुडने के बाद समूह के सदस्यों में काफी उत्साह है और वे इस व्यवसाय का आनन्द उठा रहे हैं। अगले क्रम में अन्य क्लस्टरों के समूहों को भी जोडने की योजना है।
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