मौसम में बदलाव-कृषि वैज्ञानिकों की कृषकों को सलाह

पन्ना 13 फरवरी 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. बी. एस. किरार एवं डाॅ. आर.के. जायसवाल वैज्ञानिक द्वारा जवाहरलाल नेहरू कृषि विष्वविद्यालय जबलपुर के कृषि मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसमी जानकारी के आधार पर कृषकों के लिये कृषि परामर्ष दिया जा रहा है। 

डाॅ किरार ने बताया है कि मौसम विभाग के अनुसार 13-14 मार्च को भी बारिष होने की संभावना है। गत दो दिनों से पन्ना जिले में कही-कही हल्की एवं तेज बारिष हुयी है। कृषक इस स्थिति में गेहूँ की फसल मंे सिंचाई करना बंद कर दें। और यदि फसल गभोट एवं दुग्धावस्था में है तो उसमें 25 से 30 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड़ का छिड़काव करें। उत्पादन की गुणवत्ता एवं उचित बाजार भाव प्राप्त करने हेतु गेहूँ की फसल से सरसों के पौधों को उखाड़ कर अलग कर दें। चना फसल में तापमान के उतार-चढ़ाव एवं वर्षा की स्थिति में फसल में इल्ली की संभावना बढ़ जाती है। इसके लिये कृषक फसल की सतत् निगरानी करें और 20-25 टी आकार की खूटिया प्रति एकड़ पक्षियों के बैठने हेतु लगा दें। चने की इल्ली दो या दो से अधिक प्रति वर्ग मीटर दिखने पर रासायनिक दवा इण्डोक्साकार्ब या इमोमक्टिन बेंजोएट 80 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे। 
उन्होंने कहा है कि फसल में पानी रूकने वाले स्थान पर मेड़ काटकर नाली बनाकर जल निकास की व्यवस्था कर दें। यदि मसूर एवं सरसों काटकर खेत या खलियान मंे रखी है तो उसकों कृषक उलटा-पलटा कर सुखाने हेतु फैला दें। सरसों की देर से बोई गई फसल में अचानक मौसम परिर्वतन से माहू की संभावना को देखते हुये फसल की सतत् निगरानी करें। हल्का माहू दिखने पर फसल की टहनियों को प्लास्टिक की थैली में तोड़कर माहू को नष्ट कर दें। माहू की अधिकता में इमिडाक्लोप्रिड (17.8 प्रतिषत एस.एल.) 100 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करे। वर्तमान में सरसों में श्वेत किट्ट रोग की संभावना बनती है। 

उन्होंने कहा है कि पत्तियों पर धब्बे दिखने पर मेंकोजेब 2.5 या कार्बेण्डाजिम$मेंकोजब एक ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। प्याज फसल की गुड़ाई करे और यूरिया 25 से 30 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर छिड़काव करें। सेम एवं मूली सब्जी फसल में माहू कीट और आम में रस चूसक कीट, मिर्च एवं बंैगन में लीफ कर्ल (पत्ती सिकुड़न) रोग के नियंत्रण हेतु इमिड़ाक्लोप्रिड़ दवा का छिड़काव करें। कद्दूवर्गीय सब्जियों में लाल कीडे़ के नियंत्रण हेतु डायक्लोरावास (75 प्रतिषत ई.सी.) 200 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। नये बगीचे  एवं फलदार पौधों में यूरिया अन्य मिश्रित पोषक तत्वों का उपयोग करें। मुर्गीपालक ध्यान दें कि रात्रि का तापमान कम होने की स्थिति में मुर्गियों के घरों/षेड के चारों तरफ बोरों के पर्दे लगाएं ताकि ठण्ड से छोटे बच्चों (पक्षियों) को बचाया जा सके। 
समाचार क्रमांक 109-389

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