वर्तमान परिस्थिति में धान की अविलम्ब बुवाई के लिये आवष्यक सलाह
पन्ना 02 अगस्त 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के वऱिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. वी. एस. किरार, डाॅ. रितेष जायसवाल एवं श्री डी. पी सिंह द्वारा विभिन्न गंावों में खरीफ फसल जैसे उड़द, मूंग, अरहर, सोयाबीन, तिल, धान एवं कद्दूवर्गीय सब्जियों के उगाने की उन्नत तकनीकी से खेती करने के बारे में जानकारी दी गई। विभिन्न गांवों से प्राप्त आंकडों के आधार पर जहां मूंग, उडद, तिल, एवं अरहर की 90 प्रतिषत क्षेत्र में बोवनी कर ली गई है वहीं धान की बोनी कुछ गांवों में 90 प्रतिषत तो कुछ में 50 से 60 प्रतिषत तक किया गया है अब जबकि वर्षा की अनिष्चितता की स्थिति है ऐसी अवस्था में धान के बचे हुए क्षेेत्रफल को अति षीघ्र बोने के लिये खेत को कम से कम एक बार जोत कर पटेला लगा दें।
वैज्ञानिकों ने बताया कि धान के एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिये 60 किग्रा. बीज को 12 घंटे पानी में भिगोकर उसको नम रखते हुए पालथीन सीट पर पतली परत (1-2 सेमी. ऊंचा) फैला लेते हैं एवं उपर से जूट के बोरे से नम रखते हुुए ढक देते हैं एसी स्थिति में तब तक रखते है जब तक कि अंकुरण दिखाई नहीं देने लगे तथा इसके पष्चात् अपने खेतों में धान की बुआई छिटकवा विधि से कर लेवें इसके लिये कुछ प्रजातियां मुख्य हैं। जिनको आप चयन कर सकते हैं सहभागी, दन्तेश्वरी, एम.टी.यू.-1010 आदि। इसके अतिरिक्त कुछ कष्ृाकों द्वारा यदि धान की फसल लेना संभव नहीं हो पा रहा है तो वे अपने खेतों में ढैचा एवं सनई के फसल को प्रति है. 50 से 60 किग्रा बीज बोकर 40 से 45 दिन में जडा़ें में नोड्यूल्स बनना प्रारम्भ हो जाये तब फसल को जुताई कर मिट्टी में मिला देवें खेेत में पलट हल से पलट दें। जिससे पूरी फसल मिट्टी में दब कर पूर्ण रूप से सड़ जाये। इससे मृदा उर्वरता में वृ़द्धि होगी एवं खरपतवारों की संभावना आगे उगाये जाने वाली फसलों में कम होगी।
समाचार क्रमांक 30-2284
वैज्ञानिकों ने बताया कि धान के एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिये 60 किग्रा. बीज को 12 घंटे पानी में भिगोकर उसको नम रखते हुए पालथीन सीट पर पतली परत (1-2 सेमी. ऊंचा) फैला लेते हैं एवं उपर से जूट के बोरे से नम रखते हुुए ढक देते हैं एसी स्थिति में तब तक रखते है जब तक कि अंकुरण दिखाई नहीं देने लगे तथा इसके पष्चात् अपने खेतों में धान की बुआई छिटकवा विधि से कर लेवें इसके लिये कुछ प्रजातियां मुख्य हैं। जिनको आप चयन कर सकते हैं सहभागी, दन्तेश्वरी, एम.टी.यू.-1010 आदि। इसके अतिरिक्त कुछ कष्ृाकों द्वारा यदि धान की फसल लेना संभव नहीं हो पा रहा है तो वे अपने खेतों में ढैचा एवं सनई के फसल को प्रति है. 50 से 60 किग्रा बीज बोकर 40 से 45 दिन में जडा़ें में नोड्यूल्स बनना प्रारम्भ हो जाये तब फसल को जुताई कर मिट्टी में मिला देवें खेेत में पलट हल से पलट दें। जिससे पूरी फसल मिट्टी में दब कर पूर्ण रूप से सड़ जाये। इससे मृदा उर्वरता में वृ़द्धि होगी एवं खरपतवारों की संभावना आगे उगाये जाने वाली फसलों में कम होगी।
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