आपदा प्रबंधन पर जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित आपदा कभी बताकर नही आती, हमें पूर्व तैयारी हमेशा रखनी चाहिए-डाॅ. जाॅर्ज

पन्ना 27 जुलाई 18/जिला पंचायत सभाकक्ष में शुक्रवार को आपदा प्रबंधन पर जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें आपदा प्रबंधन संस्थान भोपाल से आए विशेषज्ञों द्वारा आपदा प्रबंधन पर तकनीकी एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। कार्यशाला के माध्यम से आपदा प्रबंधन में आने वाले व्यवहारिक समस्याओं एवं उनके निराकरण के सुझाव भी अधिकारियों से लिए गए। इस दौरान जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डाॅ. गिरीश कुमार मिश्रा, वन मण्डलाधिकारी उत्तर वन मण्डल श्री एन.एस. यादव, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री बीकेएस परिहार, जिला कमाण्डेंट होमगार्ड श्री के.के. नारौलिया सहित राजस्व एवं पुलिस विभाग के जिलेभर के अधिकारी तथा सभी विभागों के विभाग प्रमुख मौजूद रहे।

    कार्यशाला में उप संचालक आपदा प्रबंधन संस्थान भोपाल डाॅ. जोसेफ व्ही. जाॅर्ज द्वारा राजस्व एवं पुलिस के अधिकारियों से क्षेत्रवार संभावित आपदाओं एवं संवेदनशील क्षेत्रों की विस्तृत जानकारी ली गयी। साथ ही उन्होंने अधिकारियों से अब तक की गयी पूर्व तैयारियों की जानकारी लेते हुए आंकलन भी किया। डाॅ. जाॅर्ज ने आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आपदाएं कई तरह की होती हैं। पन्ना जिला भूकंप जोन-2 में आता है। इसलिए यहां तीव्र भूकंप की संभावना कम है। लेकिन यह क्षेत्र बाढ़ तथा सूखे के लिए संवेदनशील है। आपदाएं कभी बता कर नही आती, अतः हमें सभी तरह की आपदाओं की पूर्व तैयारी हमेशा रखनी चाहिए।

    डाॅ. जाॅर्ज ने बताया कि समुचित एवं त्वरित आपदा प्रबंधन के लिए बेहतर अन्तरविभागीय समन्वय के साथ-साथ सामुदायिक सहयोग भी आवश्यक है। राजस्व एवं पुलिस के अधिकारी पहले से संवेदनशील क्षेत्रों का चिन्हांकन कर लें। स्थानीय संसाधनों का आंकलन करते हुए कार्ययोजना तैयार रखें। अस्थाई कैम्पों के लिए स्थान का चयन कर सभी उम्र वर्ग के व्यक्तियों की जरूरतों के अनुरूप सभी आवश्यक सामग्रियों की सूची तैयार कर लेंवे। इसके अलावा आपदा प्रभावित शासकीय प्रतिष्ठानों, भवनों एवं कार्यालयों का चिन्हांकन भी आवश्यक है। संवेदनशील क्षेत्रों में इनका निर्माण ऊंचाई वाले स्थानों पर, भूकंप रोधी एवं आग सुरक्षा व्यवस्थाओं के साथ किया जाना चाहिए।

    उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन के त्वरित उपायों से अधिक महत्वपूर्ण आपदा का दूरगामी प्रबंधन है। आपदा प्रभाव न केवल भौतिक एवं आर्थिक होता है बल्कि इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पडते हैं। चूंकि आपदा के समय किसी क्षेत्र विशेष के सभी परिवार प्रभावित होते हैं ऐसे में मनोवैज्ञानिक रूप से कोई भी किसी को सहारा देने की स्थिति में नही होता है। ऐसी परिस्थितियों में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इसलिए मनोवैज्ञानिकों का चिन्हांकन भी पूर्व से कर लिया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस दौरान मेंटल हेल्थ सर्विस भी उपलब्ध कराई जाना चाहिए। इसी तरह क्षेत्रीय लोगों को रेडक्रास का प्रशिक्षण, आपदा के दौरान सेनीटेशन की व्यवस्था, आपदा के बाद प्रभावितों का पुनर्वास आदि भी महत्वपूर्ण है। इस संबंध में लोगों में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

    कार्यशाला में फायर इंजीनियर श्री शिवराज सिंह ने मानव निर्मित आपदा के कारण, बचाव एवं सावधानियों के संबंध में विस्तृत जानकारी अधिकारियों दी। उन्होंने बताया कि आग लगने पर उसके मुख्य स्त्रोत पर उसका शमन निर्भर करता है। ठोस वस्तुओं में आग लगने पर पानी का उपयोग किया जाना चाहिए। जबकि तरल द्रवों अथवा ईधनों पर लाग लगने की स्थिति में पानी का उपयोग कतई नही करना चाहिए। इस आग को फोम के माध्यम से बुझाना चाहिए। इसी तरह उन्होंने ईधनों से भरे वाहन के पलटने अथवा उनसे ईधनों के रिसाव की स्थिति में किसी बडी दुर्घटना से बचाव के प्रबंधन के बारे में भी विस्तारपूर्वक जानकारी दी। जिसमें उन्होंने ऐसे वाहनों पर लिखे संकेतकों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्कूलों में भी बच्चों को आपदा प्रबंधन के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। घर के सभी सदस्यों को गैस सिलेण्डर आदि के सेफ्टी प्रावधानों की जानकारी होनी चाहिए। आपदा से बचाव ही इसका सबसे बेहतर प्रबंधन है। कार्यशाला में जिला कमाण्डेंट श्री नारौलिया ने बताया कि आपदा की सूचना के लिए टोल फ्री नम्बर 1079 उपलब्ध कराया गया है। आपदा की स्थिति निर्मित होने पर तत्काल इस नम्बर पर सूचना दी जा सकती है। जिले में 8 डिजास्टर रिलीफ सेंटर बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त इमरजेन्सी केन्द्र भी स्थापित किया गया है, जिसका नम्बर 07732-253646 है।
समाचार क्रमांक 346-2280

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