किसान भाइयों को दी गई सलाह
पन्ना 23 जनवरी 18/सहायक संचालक उद्यान पन्ना महेंद्र मोहन भट्ट ने किसानों
को समसामयिक सलाह दी है कि वर्तमान मे ओला पाला एवं रात्रि की तापमान में
लगातार गिरावट देखी जा रही है। जिससे की उद्यानिकी फसलें केला, पपीता, पान
बरेजा आलू, टमाटर बेंगन, मटर इत्यादि पर ज्यादा नुकसान हो रहा है। मौसम
विभाग के अनुसार प्रदेश के कई जिलों में तापमान तेजी से कम होने की संभावना
बताई गई है। कुछ क्षेत्रों में तापमान 4 डिग्री सेन्टीग्रेड से कम रह सकता
है। तापमान में होने वाली इस गिरावट का असर फसलों पर पाले के रूप में होने
की आशंका रहेगी। आसमान साफ होने, हवा का बहाव कम होने के साथ तापमान में
गिरावट से पाला पड़ने के संकेत मिल रहे हैं। उद्यानिकी विभाग ने विशेष सलाह
जारी करते हुए प्रभावित क्षेत्रों के समस्त मैदानी अमले को पाले से बचाव के
उपायों के व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश दिये हैं।
उन्होंने किसानों को समझाइश दी है कि रात्रि में खेत, मेड़ों पर कचरा तथा खरपतवार आदि जलाकर विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी छोर से धुऑ करें जिससे कि धुएँ की परत फसलों के ऊपर छा जाये। फसलों में खरपतवार नियंत्रण करना भी आवश्यक है क्योंकि खेतों में उगने वाले अनावश्यक तथा जंगली पौधे सूर्य की ऊष्मा भूमि तक पहुँचाने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार तापमान के असर को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। पानी की गुप्त ऊष्मा अधिक होती है तथा लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए। उद्यानिकी विभाग पन्ना द्वारा जारी की गयी सलाह के अनुसार शुष्क भूमि में पाला पड़ने का जोखिम अधिक होता है। फसलों में ड्रिप स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई की जाये। किसानों द्वारा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का छिंदकाओं अथवा वेटेबल या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी पाले के असर को नियंत्रित किया जा सकता है। सहायक संचालक द्वारा सभी मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा कृषकों को सूचित करने के साथ ग्रामीण स्तर पर डोंडी पिटवा कर किसानों को सचेत करने के निर्देश दिये गये हैं। अधिकारियों से सघन भ्रमण कर स्थिति पर लगातार नजर रखने के लिये भी कहा गया है।
समाचार क्रमांक 199-199
उन्होंने किसानों को समझाइश दी है कि रात्रि में खेत, मेड़ों पर कचरा तथा खरपतवार आदि जलाकर विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी छोर से धुऑ करें जिससे कि धुएँ की परत फसलों के ऊपर छा जाये। फसलों में खरपतवार नियंत्रण करना भी आवश्यक है क्योंकि खेतों में उगने वाले अनावश्यक तथा जंगली पौधे सूर्य की ऊष्मा भूमि तक पहुँचाने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार तापमान के असर को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। पानी की गुप्त ऊष्मा अधिक होती है तथा लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए। उद्यानिकी विभाग पन्ना द्वारा जारी की गयी सलाह के अनुसार शुष्क भूमि में पाला पड़ने का जोखिम अधिक होता है। फसलों में ड्रिप स्प्रिंकलर के माध्यम से हल्की सिंचाई की जाये। किसानों द्वारा 8 से 10 किलोग्राम सल्फर डस्ट प्रति एकड़ का छिंदकाओं अथवा वेटेबल या घुलनशील सल्फर 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से भी पाले के असर को नियंत्रित किया जा सकता है। सहायक संचालक द्वारा सभी मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा कृषकों को सूचित करने के साथ ग्रामीण स्तर पर डोंडी पिटवा कर किसानों को सचेत करने के निर्देश दिये गये हैं। अधिकारियों से सघन भ्रमण कर स्थिति पर लगातार नजर रखने के लिये भी कहा गया है।
समाचार क्रमांक 199-199
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