कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गाजरघास उन्मूलन कार्यक्रम

पन्ना 08 अगस्त 18/कृषि विज्ञान केन्द्र, पन्ना के डाॅ. बी.एस. किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, नीलकमल पंद्रे एवं धमेन्द्र प्रकाश सिंह वैज्ञानिको ने रावें छात्रों के साथ विगत दिवस पुरूषोत्तमपुर मे महाराजा छत्रशाल आवासीय विद्यापीठ के मैदान मंे गाजर घास उन्मूलन का कार्य किया गया साथ ही आवासीय छात्रों को गाजर घास से होने वाली बीमारियों एवं परेशानियों से अवगत कराया गया।

    वैज्ञानिकों ने बताया कि गाजर घास एक विदेशी घास है जो बरसात के मौसम में खेल मैदान, सड़क के किनारे, खेतों एवं मेड़ों पर घरों के आस-पास एवं अन्य खाली जगहों पर काफी संख्या में पैदा होता है। यह मनुष्य, पशु एवं फसलों सभी के लिये काफी नुकसानदायक होता है। बच्चे या बडे आदमी यदि गाजर घास में निकलने से शरीर में त्वचा रोग एवं खुजली होती है उसके फूलांे के पावडर श्वास के माध्यम से शरीर के अंदर जाने से अस्थमा बीमारी की समस्या हो जाती है। पशुओं द्वारा गाजर घास चरने से दूध मंे कड़वापन एवं उसमंे से गुजरने से खुजली होती है। साथ ही मैदानों या खाली जगहों पर हरा चारा को दवा देता है जिससे पशुओं को चारा चरने की समस्या हो रही है। इसी प्रकार खेतों एवं खेतांे की मेड़ों पर पैदा होने से फसलोत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता है तथा फसलों की लागत में वृद्धि तथा लाभ में कमी आ रही है। इसलिये सभी कृषकों को एवं आम नगरिकों को सलाह दी जाती है कि हमें गारजघास उन्मूलन पर कार्य करना चाहिये और अधिक से अधिक लोगों को गाजर घास उन्मूलन के लिये प्रेरित करना चाहिए। कृषक गाजर घास को यदि फूल आने से पहले उखाड़कर गोबर के साथ गड्ढे में डालते है तो अच्छा कम्पोस्ट खाद का कार्य करता है और फूल आने पर उसे उखाड़कर एक गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए जिससे वह पूरा पौधा फूल सहित गड्ढे में सड़ जायेगा। 
समाचार क्रमांक 130-2381

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