वैज्ञानिकों द्वारा धान उत्पादक कृषकों को समसामयिकी सलाह
पन्ना 31 जुलाई 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डाॅ. बी. एस. किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख एवं डाॅ. आर. के. जायसवाल वैज्ञानिक एवं श्री डी.पी. सिंह द्वारा कृषकों को खरीफ फसलों के विपुल उत्पादन हेतु समसामयिकी सलाह दी जाती है। धान की नर्सरी 2 से 3 सप्ताह की होने पर रोपाई कार्य पूर्ण कर लें। रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से मचाई कर लें उसके बाद उर्वरक-यूरिया 15 से 17 कि.ग्रा., डी.ए.पी. 50 किग्रा. एवं म्यूरेट आॅप पोटाश 20 से 25 कि.ग्रा. प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर खेत में मिला दंे। रोपाई के समय खेत में पानी बहुत कम होना चाहिए। जल्दी पकने वाली किस्मों के लिए कतारों और पौधों की दूरी 15×10 से.मी. और मध्यम अवधि और देर से पकने वाली किस्मों की आपस की दूरी 20×10 से.मी. तथा संकर किस्मों को 20×20 से.मी. पर रोपाई करें।
वैज्ञानिकों ने बताया कि एक स्थान पर 2 से 3 पौधे की रोपाई करें और रोपणी ज्यादा दिन की होने पर 4 से 5 पौधे एक स्थान पर लगाये तथा संकर किस्म का 1 पौधा ही लगावें तथा पौधा सीधा रोपण करें। जिंक की कमी वाले खेतों में 8 कि.ग्रा. प्रति एकड़ जिंक सल्फेट तीन साल में एक बार प्रयोग करें। खड़ी फसल में जस्ते की कमी दिखने पर एक कि.ग्रा. जिंक सल्फेट 1 कि.ग्रा. चूने के साथ मिलाकर 250 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। फसल में गंधक की पूर्ति के लिए डी. ए. पी. खाद के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करें। दूसरे गंधक के उर्वरक स्त्रोत अमोनियम सल्फेट, जिप्सम फास्फोजिप्सम एवं जिंक सल्फेट है। यूरिया की दूसरी मात्रा रोपाई के 20 से 25 दिन बाद डालें और तीसरी मात्रा कंसे निकलते समय डालें और अंतिम मात्रा गभोट अवस्था में डाले। धान में मुख्य रूप से नींदा सवा, कनकौआ, सफेद मुर्ग, मोथा, पथरचटा एवं दूब घास होती है। फसल को शुरू की अवस्था में नींदाओं से ज्यादा हानि पहुंचती है। इनके नियंत्रण हेतु समय पर निंदाई या रसायनिक दवाओं का छिड़काव करना आवश्यक है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि धान की सीधी कतार बुवाई के तुरन्त बाद यानि अंकुरण के पहले पेण्डीमैथालिन 30 ई.सी. दवा 1.25 ली. प्रति एकड़ या बुवाई के 10 दिन बाद बोन्थियोकार्व 50 ई. सी. दवा 1 ली. प्रति एकड़ और रोपाई के 15 से 25 दिन में बेसपायरिबेक सोड़ियम दवा 32 ग्रा/एकड़ चैड़ी और सकरी पत्ती वाले नींदा के लिए और प्रोक्सीनाफाॅफ पी ईथाईल 200 मिली. प्रति एकड़ जंगली धान (पसर धान), मोथा, दूबा, सांवा आदि सकरी पत्ती वाले नींदानियंत्रण हेतु 200 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। नींदानाशक दवाओं के छिड़काव के समय स्प्रेयर पम्प में फ्लैटफैन नोजल (कट नोजल) का प्रयोग करें। धान में तना छेदक, गंगई, पत्ती मोडक, बी.पी.एच., थ्रिप्स आदि कीट नियंत्रण हेतु थायोमेथोक्जाम 25 प्रतिशत डब्लू.जी. दवा 40 ग्राम या एसीफेट 75 प्रतिशत एस. पी. 400 ग्राम प्रति एकड़ 200 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। धान में झुलसा रोग ग्रसित पौधे की पत्तियों पर आंख के आकार का धब्बा बनते हैं। धब्बे बीच में राख रंग के तथा किनारों पर कत्थई सफेद रंग के होते हैं जो बढ़कर पौधों को झुलसा देते हैं इसके नियंत्रण हेतु ट्रायसायक्लाजोल दवा 1 ग्राम प्रति ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
समाचार क्रमांक 410-2244
वैज्ञानिकों ने बताया कि एक स्थान पर 2 से 3 पौधे की रोपाई करें और रोपणी ज्यादा दिन की होने पर 4 से 5 पौधे एक स्थान पर लगाये तथा संकर किस्म का 1 पौधा ही लगावें तथा पौधा सीधा रोपण करें। जिंक की कमी वाले खेतों में 8 कि.ग्रा. प्रति एकड़ जिंक सल्फेट तीन साल में एक बार प्रयोग करें। खड़ी फसल में जस्ते की कमी दिखने पर एक कि.ग्रा. जिंक सल्फेट 1 कि.ग्रा. चूने के साथ मिलाकर 250 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। फसल में गंधक की पूर्ति के लिए डी. ए. पी. खाद के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग करें। दूसरे गंधक के उर्वरक स्त्रोत अमोनियम सल्फेट, जिप्सम फास्फोजिप्सम एवं जिंक सल्फेट है। यूरिया की दूसरी मात्रा रोपाई के 20 से 25 दिन बाद डालें और तीसरी मात्रा कंसे निकलते समय डालें और अंतिम मात्रा गभोट अवस्था में डाले। धान में मुख्य रूप से नींदा सवा, कनकौआ, सफेद मुर्ग, मोथा, पथरचटा एवं दूब घास होती है। फसल को शुरू की अवस्था में नींदाओं से ज्यादा हानि पहुंचती है। इनके नियंत्रण हेतु समय पर निंदाई या रसायनिक दवाओं का छिड़काव करना आवश्यक है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि धान की सीधी कतार बुवाई के तुरन्त बाद यानि अंकुरण के पहले पेण्डीमैथालिन 30 ई.सी. दवा 1.25 ली. प्रति एकड़ या बुवाई के 10 दिन बाद बोन्थियोकार्व 50 ई. सी. दवा 1 ली. प्रति एकड़ और रोपाई के 15 से 25 दिन में बेसपायरिबेक सोड़ियम दवा 32 ग्रा/एकड़ चैड़ी और सकरी पत्ती वाले नींदा के लिए और प्रोक्सीनाफाॅफ पी ईथाईल 200 मिली. प्रति एकड़ जंगली धान (पसर धान), मोथा, दूबा, सांवा आदि सकरी पत्ती वाले नींदानियंत्रण हेतु 200 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। नींदानाशक दवाओं के छिड़काव के समय स्प्रेयर पम्प में फ्लैटफैन नोजल (कट नोजल) का प्रयोग करें। धान में तना छेदक, गंगई, पत्ती मोडक, बी.पी.एच., थ्रिप्स आदि कीट नियंत्रण हेतु थायोमेथोक्जाम 25 प्रतिशत डब्लू.जी. दवा 40 ग्राम या एसीफेट 75 प्रतिशत एस. पी. 400 ग्राम प्रति एकड़ 200 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। धान में झुलसा रोग ग्रसित पौधे की पत्तियों पर आंख के आकार का धब्बा बनते हैं। धब्बे बीच में राख रंग के तथा किनारों पर कत्थई सफेद रंग के होते हैं जो बढ़कर पौधों को झुलसा देते हैं इसके नियंत्रण हेतु ट्रायसायक्लाजोल दवा 1 ग्राम प्रति ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
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