केंचुआ पालन कर जैविक खेती से फसल की हो रही अच्छी पैदावार क्यारी विधि से प्याज की कर रहे हैं खेती, कौशल किशोर को प्राप्त हो रही अतिरिक्त आय
पन्ना 15 मई 18/रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करने से भूमि की उर्वरा क्षमता कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे ज्यादा मात्रा में रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता बढने से बाजार पर लगातार निर्भर रहना पडता था। इससे कौशल किशोर को भारी आर्थिक क्षति हो रही थी। खेती करना जैसे उसके वश का काम नही रह गया था। तभी कृषि विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों से उसकी मुलाकात ने प्रगति के मार्ग प्रशस्त कर दिए। आज कौशल किशोर केचुआ पालन कर जैविक खेती से फसल उत्पादन कर अच्छी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं।
पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड के ग्राम सिंहपुर निवासी कृषक कौशल किशोर बताते हैं कि परियोजना संचालक आत्मा अन्य कृषि कर्मचारियों से मुलाकात के दौरान मैंने अपनी समस्याएं उनके सामने रखी। अपनी खेती के सुधार के संबंध में चर्चा की। जिसके बाद मुझे आत्मा के विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से जानकारियां लेने का अवसर प्राप्त हुआ। खेती की उन्नत तकनीक की जानकारी मिलने के बाद अब मैं खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें भी ले रहा हॅू। पहले अवैज्ञानिक ढंग से कृषि करने पर लागत तो अधिक थी लेकिन उत्पादन कम होता था। पर अब केंचुआ पालन कर जैविक खेती करने से रासायनिक उर्वरकों को क्रय करने में हो रही आर्थिक क्षति भी दूर हुई और उत्पादन भी अच्छा प्राप्त हो रहा है। पिछले वर्ष मैंने क्यारी विधि से प्याज की जैविक खेती की थी। जिससे मुझे 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्याज का उत्पादन प्राप्त हुआ। जिसे उन्होंने 25 रूपये प्रति किलो ग्राम की दर से विक्रय किया था। इस वर्ष भी मुझे प्याज का अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ है। प्याज के विक्रय से मुझे अतिरिक्त आय प्राप्त होने लगी है। इससे मेरी आय में वृद्धि हुई है। अब मैं अपनी ख्ेाती के लिए आवश्यक खाद बगैरह भी स्वयं बनाने लगा हूूॅ। मैं नाडेफ एवं बर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर रहा हॅू। अब मेरी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गयी है। कौशल किशोर कहते हैं मेरी तरह अन्य कृषक भी खेती को लाभ का व्यवसाय बना सकते हैं।
समाचार क्रमांक 151-1349
पन्ना जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड के ग्राम सिंहपुर निवासी कृषक कौशल किशोर बताते हैं कि परियोजना संचालक आत्मा अन्य कृषि कर्मचारियों से मुलाकात के दौरान मैंने अपनी समस्याएं उनके सामने रखी। अपनी खेती के सुधार के संबंध में चर्चा की। जिसके बाद मुझे आत्मा के विभिन्न प्रशिक्षणों के माध्यम से जानकारियां लेने का अवसर प्राप्त हुआ। खेती की उन्नत तकनीक की जानकारी मिलने के बाद अब मैं खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें भी ले रहा हॅू। पहले अवैज्ञानिक ढंग से कृषि करने पर लागत तो अधिक थी लेकिन उत्पादन कम होता था। पर अब केंचुआ पालन कर जैविक खेती करने से रासायनिक उर्वरकों को क्रय करने में हो रही आर्थिक क्षति भी दूर हुई और उत्पादन भी अच्छा प्राप्त हो रहा है। पिछले वर्ष मैंने क्यारी विधि से प्याज की जैविक खेती की थी। जिससे मुझे 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्याज का उत्पादन प्राप्त हुआ। जिसे उन्होंने 25 रूपये प्रति किलो ग्राम की दर से विक्रय किया था। इस वर्ष भी मुझे प्याज का अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ है। प्याज के विक्रय से मुझे अतिरिक्त आय प्राप्त होने लगी है। इससे मेरी आय में वृद्धि हुई है। अब मैं अपनी ख्ेाती के लिए आवश्यक खाद बगैरह भी स्वयं बनाने लगा हूूॅ। मैं नाडेफ एवं बर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर रहा हॅू। अब मेरी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो गयी है। कौशल किशोर कहते हैं मेरी तरह अन्य कृषक भी खेती को लाभ का व्यवसाय बना सकते हैं।
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