ग्राम बताषा में कृषक प्रषिक्षण सह जागरूकता पर कार्यक्रम आयोजित
पन्ना 23 फरवरी 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना द्वारा गत दिवस ग्राम बताषा विकासखण्ड अजयगढ़ में भूतपूर्व सरपंच सुघर सिंह यादव, भूत पूर्व सरपंच प्रताप सिंह की उपस्थिती में डा. बी.एस. किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डा. आर.के.जायसवाल वैज्ञानिक, एन.के. पन्द्रे, कार्यक्रम सहायक द्वारा पौध किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण विषय पर कृषक प्रषिक्षण सह जागरूकता पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
डाॅ. किरार ने बताया कि फसल की स्थानीय किस्मों, कृषकों तथा पादप प्रजनकों के अधिकारों की सुरक्षा तथा पौध की नई किस्मों के विकास के लिये एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना हेतु भारत सरकार ने पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 का गठन किया गया। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के प्रजनन संस्थाओं तथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान किये गये है। यह विधान पादप प्रजनन सम्बन्धी क्रियाकलापों में वाणिज्यक पादप प्रजनकांे तथा किसानों दोनों के योगदानों को मान्यता प्रदान करता है। डाॅ. जायसवाल ने बताया कि पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत कृषक जो वर्षो से स्थानीय किस्मांे को उगाते आ रहे है जिसमें कोई न कोई विषेष गुण है। ऐसी किस्मों को कृषक अपनी किस्म को सुरक्षा प्रदान करने और पंजीकृत करने का अधिकार है। कार्यक्रम में स्थानीय किस्मो का संग्रहण किया गया। कार्यक्रम में एन.के. गुप्ता, ग्रा.कृ.वि.अ., एवं एस.एस. खरे, ग्रा.कृ.वि.अ. द्वारा किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग की योजनाओ की जानकारी प्रदान की गयी। वैज्ञानिक एन.के.पन्द्रे द्वारा उद्यानिकी फसलो एवं सब्जियों के स्थानीय किस्मो के स्थानीय किस्मो के संरक्षण पर जानकारी दी गयी तथा कृषको को रवी फसलो के पंजीयन एवं भावान्तर हेेतु फसलो का पंजीयन कराने की सलाह दी गयी।
समाचार क्रमांक 235-515
डाॅ. किरार ने बताया कि फसल की स्थानीय किस्मों, कृषकों तथा पादप प्रजनकों के अधिकारों की सुरक्षा तथा पौध की नई किस्मों के विकास के लिये एक प्रभावी प्रणाली की स्थापना हेतु भारत सरकार ने पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 का गठन किया गया। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के प्रजनन संस्थाओं तथा किसानों के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान किये गये है। यह विधान पादप प्रजनन सम्बन्धी क्रियाकलापों में वाणिज्यक पादप प्रजनकांे तथा किसानों दोनों के योगदानों को मान्यता प्रदान करता है। डाॅ. जायसवाल ने बताया कि पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत कृषक जो वर्षो से स्थानीय किस्मांे को उगाते आ रहे है जिसमें कोई न कोई विषेष गुण है। ऐसी किस्मों को कृषक अपनी किस्म को सुरक्षा प्रदान करने और पंजीकृत करने का अधिकार है। कार्यक्रम में स्थानीय किस्मो का संग्रहण किया गया। कार्यक्रम में एन.के. गुप्ता, ग्रा.कृ.वि.अ., एवं एस.एस. खरे, ग्रा.कृ.वि.अ. द्वारा किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग की योजनाओ की जानकारी प्रदान की गयी। वैज्ञानिक एन.के.पन्द्रे द्वारा उद्यानिकी फसलो एवं सब्जियों के स्थानीय किस्मो के स्थानीय किस्मो के संरक्षण पर जानकारी दी गयी तथा कृषको को रवी फसलो के पंजीयन एवं भावान्तर हेेतु फसलो का पंजीयन कराने की सलाह दी गयी।
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