टीकमगढ़ के वैज्ञानिक दल द्वारा समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्षन चना का अवलोकन

पन्ना 25 जनवरी 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिषन के अन्तर्गत चना फसल का समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्षन 30 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कृषकों के खेतों पर डाले गये है। उनका अवलोकन कृषि महाविद्यालय, टीकमगढ़ के कृषि वैज्ञानिक दल डाॅ. एस. पी. सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डाॅ. आर. के. प्रजापति, वैज्ञानिक, डाॅ. मनीषा श्याम, वैज्ञानिक को डाॅ. बी. एस. किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डाॅ. आर. के. जायसवाल एवं डाॅ. आर. पी. सिंह वैज्ञानिकों द्वारा भ्रमण कराया गया। चना प्रदर्षन का वैज्ञानिक दल ने ग्राम- अहिरगुवाॅ में कृषक- श्यामप्रकाष शुक्ला, उमा शुक्ला, राजेन्द्र सिंह यादव, रामरूप तिवारी, इन्द्र सिंह यादव एवं निरंजन कुषवाहा तत्पष्चात् ग्राम पडे़री मेें कृषक सुषील त्रिपाठी, गणेष प्रसाद, छोटे लाल जैन, संतोष नामदेव, बिहारी लाल आदि के खेतों का भ्रमण किया और कृषकों से प्रदर्षन में अपनायी गयी तकनीक पर विस्तार से चर्चा की गयी। ग्राम पड़ेरी में कृषक सुषील त्रिपाठी ने चना प्रदर्षन तकनीक के अन्तर्गत प्रमुख बिन्दुओं उदाहरणतया उन्नत किस्म आर. वी. जी. 203 जो उकठा एवं काॅलर राट रोग प्रतिरोधी, अधिक उत्पादन और अधिक फैलने के कारण असिंचित क्षेत्र के लिये उपयोगी आदि गुणों पर प्रकाष डाला।

  उन्होंने बताया कि बुवाई पूर्व जैव उर्वरक राइजोबियम, पी.एस.बी. एवं ट्राइकोडर्मा कल्चर द्वारा /10 मिलीलीटर प्रति किग्रा. बीज तथा अमोनियम माॅलीब्डेनम /1 ग्रामध् कि.ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार किया गया। राइजोबियम एवं अमोनियम माॅलेब्डेनम द्वारा बीजोपचार करने से पौधों की जड़ों में गठानों का अधिक निर्माण हुआ और इन गठानों में राइजोबियम जीवाणु पाये जाते है जो वायुमंण्डलीय नत्रजन को फसल को उपलब्ध कराते है। इसके अतिरिक्त ट्राइकोडर्मा कल्चर को 2 लीटर प्रति एकड़ की दर से 50 कि.ग्रा. गोबर की खाद में मिलाकर बुवाई पूर्व मिट्टी में मिलाया गया जिसके कारण चना फसल उकठा रोग से प्रभावित नही हुआ। वैज्ञानिकों ने सभी जैव उर्वरकांे के कार्य एवं इसके लाभ से किसानांे को अवगत कराया। अहिरगुवाॅ में श्याम प्रकाष शुक्ला, उमा शुक्ला, राजेन्द्र सिंह यादव, रामरूप तिवारी, इन्द्र सिंह यादव, निरंजन कुषवाहा ने प्रदर्षन फसल में अपनायी गयी तकनीक पर वैज्ञानिको से चर्चा की उन्होंने बताया कि स्यूडोमोनास कल्चर का छिड़काव करने से फसल की बढ़वार एवं शाखाआंे में अच्छी वृद्धि हुयी है। स्थानीय प्रजाति एवं पद्धति से चना की खेती कमजोर एवं उकठा रोग से प्रभावित भी है। चर्चा के दौरान कृषकों को फसल में ‘टी‘ आकार की खूटिया 10-15 प्रति एकड़ लगाने से इल्ली नियंत्रण में सहायक होती है। कीट भक्षी पक्षिया खूटी पर बैठकर इल्लियों का खाकर नियंत्रण करने में मददगार साबित होती है।
समाचार क्रमांक 223-223

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