वैज्ञानिकों द्वारा अरहर प्रदर्शन का भ्रमण एवं संगोष्ठी

पन्ना 30 अगस्त 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डाॅ0 बी0 एस0 किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, के निर्देशन में श्री डी0पी0 सिंह, डाॅ0 आर0के0 जायसवाल एवं वैज्ञानिकों द्वारा अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन अरहर का ग्राम रामपुर, हरदी एवं सिद्धपुर में विगत दिवस भ्रमण एवं कृषकांे के साथ संगोष्ठी की गई। अरहर प्रदर्शन में किस्म टी.जे.टी. 501, जैव उर्वरक, जैविक फफूंदनाशी दवाऐं एवं नींदा नियंत्रण हेतु क्यूजालोफाॅप पी इथाईल एवं कीट नियंत्रण हेतु जैविक दवा बिवेरिया बेसियाना दवाऐं प्रदाय की गई। वैज्ञानिकों ने कृषकों के साथ प्रदर्शन खेतों का भ्रमण किया और नींदाओं से होने वाले नुकसान से अवगत कराया।

    वैज्ञानिकों ने बताया कि नींदा फसल बुवाई के 15-20 दिन के अंदर नियंत्रण करने से फसल की वृद्धि बहुत अच्छी होती है जिससे उत्पादन अधिक होता है। कृषकों को अरहर के प्रमुख कीट फली मक्खी, फली छेदक इल्ली, फली का मत्कुण, प्लूम मोथ एवं ब्रिस्टल भृंग आदि कीट अरहर को हानि पहुंचाते हैं। फल मक्खी फली का मत्कुण प्लूम मौथ के नियंत्रण हेतु डायमिथोएट 30 ई. सी. 300 मिली. मिथाईल इमेटान 25 ई. सी. 250 मिली. प्रति एकड़ दवा का छिड़काव करें। फली छेदक इल्ली, तम्बाखू इल्ली के नियंत्रण हेतु क्विनाॅलफास 25 ई.सी. 400 मिली या प्रोफेनोफाॅस 50 ई.सी. के 400 मिली. या इण्डोक्साकार्ब 14.5 ई.सी. 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर घोल बनाकर छिड़काव करें। अरहर में प्रमुख रोग उकठा, बांझपन विषाणु रोग एवं फायटोफ्थोरा झुलसा आदि रोग के बारे में बताया गया। फसल में बांझपन विषाणु रोग के लक्षण ग्रसित पौधे के ऊपरी शाखाओं में पत्तियां अधिक समय तक हरा बना रहना तथा पत्तियां छोटी रह जाना और फूल फली नहीं लगती है। यह रोग माईट, मकड़ी के द्वारा फैलता है। इसकी रोकथाम के लिए प्रतिरोधी किस्में लगायें और मकड़ी, माईट के नियंत्रण हेतु बुप्रोफेजिन 25 प्रतिशत एस. सी. और कैलथेन 2 मिली प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करें।
समाचार क्रमांक 415-2666

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