पशुपालन बना लाभ का धन्धा चार के बजाय अब 40 लीटर दुग्ध उत्पादन से 15 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हरिशंकर
पन्ना 04 मई 18/हरिशंकर और उसका परिवार अब बहुत खुश रहने लगा है। वह अपने एवं आसपास के गांव में पशुपालन विभाग की योजना का गुणगान करते नही थकते हैं। इसकी वजह विभाग की आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना से उनको मिलने वाली अतिरिक्त आय है। निःसंदेह मंहगाई के इस दौर में आय में वृद्धि होने से खुशियों का रास्ता अपने आप ही प्रशस्त हो जाता है।
श्री हरिशंकर गर्ग पन्ना जिले के ग्राम पटनातमौली के रहने वाले एक छोटे से किसान है। जो खेती के साथ-साथ छोटे स्तर पर पशुपालन का कार्य भी करते थे। उनकी आय का मुख्य साधन केवल कृषि कार्य ही था। उनके परिवार में केवल 2 देशी भैंस एवं 3 देशी गाय थी। इनसे मात्र 4 लीटर दुग्ध उत्पादन होता था, जिसका उपयोग हरिशंकर अपने परिवार के लिए ही कर पाते थे। हरिशंकर बताते हैं कि एक दिन उनकी मुलाकात पशुपालन विभाग के अधिकारी डाॅ. सी.पी. चैरसिया से हुई। जिन्होंने हरिशंकर को विभाग में संचालित आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजनान्तर्गत स्थापित डेयरी इकाई के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने ही मुझे कृषि काम के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन कर अपनी आय बढाने की सलाह दी।
जिसके बाद हरिशंकर ने योजना के अन्तर्गत डेयरी इकाई स्थापना के लिए 10 मुर्रा ग्रेडेड भैंस के लिए ऋण आवेदन विभाग के माध्यम से भारतीय स्टेट बैंक शाखा सलेहा में भेज दिया। हरिशंकर बताते हैं कि बैंक से मुझे डेयरी इकाई स्थापना के लिए 8.40 लाख रूपये का ऋण प्राप्त हुआ। जिसमें 1.50 लाख रूपये की शासकीय अनुदान सहायता विभाग द्वारा प्रदाय की गयी। इसके साथ ही प्रतिमाह 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी दिया जा रहा है। डेयरी इकाई स्वीकृत होने के बाद मैंने प्रदेश के बाहर इलाहाबाद से प्रथम किश्त के रूप में 5 भैंसे ली हैं। जिनसे प्रतिदिन 40 लीटर दुग्ध का उत्पादन प्राप्त हो रहा है। दुग्ध का विक्रय 42 रूपये प्रति लीटर की दर से सलेहा में किया जा रहा है। इससे मुझे प्रतिदिन समस्त खर्चो एवं 17 हजार रूपये की मासिक किश्त बैंक को देने के बाद भी लगभग 500 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से 15 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। मैं पशुपालन विभाग की इस योजना के लिए शासन एवं विभागीय अधिकारियों का आभारी हॅू।
समाचार क्रमांक 47-1245
श्री हरिशंकर गर्ग पन्ना जिले के ग्राम पटनातमौली के रहने वाले एक छोटे से किसान है। जो खेती के साथ-साथ छोटे स्तर पर पशुपालन का कार्य भी करते थे। उनकी आय का मुख्य साधन केवल कृषि कार्य ही था। उनके परिवार में केवल 2 देशी भैंस एवं 3 देशी गाय थी। इनसे मात्र 4 लीटर दुग्ध उत्पादन होता था, जिसका उपयोग हरिशंकर अपने परिवार के लिए ही कर पाते थे। हरिशंकर बताते हैं कि एक दिन उनकी मुलाकात पशुपालन विभाग के अधिकारी डाॅ. सी.पी. चैरसिया से हुई। जिन्होंने हरिशंकर को विभाग में संचालित आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजनान्तर्गत स्थापित डेयरी इकाई के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने ही मुझे कृषि काम के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन कर अपनी आय बढाने की सलाह दी।
जिसके बाद हरिशंकर ने योजना के अन्तर्गत डेयरी इकाई स्थापना के लिए 10 मुर्रा ग्रेडेड भैंस के लिए ऋण आवेदन विभाग के माध्यम से भारतीय स्टेट बैंक शाखा सलेहा में भेज दिया। हरिशंकर बताते हैं कि बैंक से मुझे डेयरी इकाई स्थापना के लिए 8.40 लाख रूपये का ऋण प्राप्त हुआ। जिसमें 1.50 लाख रूपये की शासकीय अनुदान सहायता विभाग द्वारा प्रदाय की गयी। इसके साथ ही प्रतिमाह 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान भी दिया जा रहा है। डेयरी इकाई स्वीकृत होने के बाद मैंने प्रदेश के बाहर इलाहाबाद से प्रथम किश्त के रूप में 5 भैंसे ली हैं। जिनसे प्रतिदिन 40 लीटर दुग्ध का उत्पादन प्राप्त हो रहा है। दुग्ध का विक्रय 42 रूपये प्रति लीटर की दर से सलेहा में किया जा रहा है। इससे मुझे प्रतिदिन समस्त खर्चो एवं 17 हजार रूपये की मासिक किश्त बैंक को देने के बाद भी लगभग 500 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से 15 हजार रूपये की अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। मैं पशुपालन विभाग की इस योजना के लिए शासन एवं विभागीय अधिकारियों का आभारी हॅू।
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