वैज्ञानिक डाॅ. किरार द्वारा किसानों को समसामयिकी सलाह
पन्ना 28 मार्च 18/वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. बी.एस. किरार ने बताया है कि खाद्य पदार्थ एवं दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुऐं जैसे अनाज, दालें, तिलहन, फल, सब्जियां मसाले इत्यादि जिन्हें यदि सुरक्षित न रखा जाये तो कीडों, चूहों एवं नमी से लगभग 30 प्रतिशत हानि होती है। खाद्यान्नों के सुरक्षित भण्डारण के लिए उपयोग करें जो भारी वातावरण में उपस्थिति नमी, वायु तथा तापक्रम के प्रभाव से अनाज को बचाती हैं तथा भण्डारण गृहों को साफ सुथरा रखें। भण्डारण गृह में मैलाथियान 50 ईसी दवा तीन लीटर प्रति सौ वर्ग मीटर के भण्डार गृह में छिडकाव करें। बोरों को भण्डारण करने से पूर्व मैलाथियान दवा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से उपचारित करना चाहिए और अनाज को भण्डारण के तुरंत बाद ईडीबी एम्पुल प्रधूमित कर दें। भण्डारण कक्षों में रखे अनाज का ही प्रधूमन करना चाहिए। एक एम्पुल दवा 3 एमएल प्रति क्विंटल बीज के लिए पर्याप्त है प्रतिधूमन के सात दिन बाद तक अनाज भण्डारण को न खोलें।
उन्होंने बताया कि एक वर्ष तक सुरक्षित अनाज भण्डार हेतु अनाज में नमी का स्तर गेहंू मेें 13-14 प्रतिशत चना में 11-12 प्रतिशत अरहर मंूग उडद में 10-11 प्रतिशत सरसों में 5-6 प्रतिशत तक नमी रहने से कीडे नही लगते है। बीज में नमी का स्तर जानने के लिए सूखे हुए अनाज को दांत से दबाने पर कट की आवाज आने तक सुखाये। उसके बाद ठण्डा होने पर उचित प्रकार से भण्डारण करें। कद्दूवग्रीय सब्जियों में लाल कीडा के नियंत्रण हेतु डायक्लोरोवास 1 से 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें। सब्जियों की चूसक कीट माहू, थ्रिप्स एवं जैसिड कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड (17.8 प्रतिशत एस.एल) दवा 80-100 मिलीलीटर प्रति एकड की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। प्याज में पत्ती झुलसन एवं बैगनी धब्बा रोग के लक्षण दिखने पर मेंकोजेब 2.5 ग्राम और 10-15 दिन बाद कोपरआॅक्सी क्लोराईट 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल का छिडकाव करें। आम में शीर्ष गुच्छ या मेगों मेलफाॅर्मेशन, बीमारी के नियंत्रण के लिए ग्रसित शाखा को काटकर मिट्टी में दबा दें और कटाई उपरांत फफंूदनाशक दवा केप्टान दो ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करें उसके बाद प्लेनोफिक्स दवा दो ग्राम 10 लीटर पानी का घोलकर छिडकाव करें साथ में यूरिया दो प्रतिशत घोल छिडकने से फसल को लाभ होता है।
उन्होंने बताया कि सिंचाई सुविधा होने पर सरसों मसूर एवं चना फसल के खेतों की जुताई कर गर्मी की मंूग उडद की खेती हेतु पीला रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन करना चाहिए। उदाहरणतया मंूग हेतु पी.डी. एम. 02-03 एवं उडद हेतु आई पी यू 94-1 शेखर 2, शेखर 3 तथा थायोमेथाक्जाम (25 डब्लू पी.) दवासे 3 ग्रामप्रतिकि.ग्रामबीज की दरसेबीजोपचारकरने के उपरांत 8 कि.ग्रा. बीजप्रति एकड़ की दरसेबुआईकरें। गर्मी में मूंग उड़द की खेती से कृषक की तीसरी फसल के रूप में अतिरिक्त लाभ होगा साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति में बढोत्तरी भी होगी। रबी फसल की कटाई के बाद फसलों के अवषेषों को न जलायें क्योंकि इससे वातावरण प्रदूषित होता है। साथ ही साथ मित्र कीट एवं जीव नष्ट हो जाते हैं इसके अतिक्ति किसानों को तीन साल में एक बार गर्मी में गहरी जुताई अवष्य करनी चाहिए। सिंचाई सुविधा होने पर गर्मी मंे हरा चारा उत्पादन हेतु सुडान घास मक्कालोबिया, ज्वार, ग्वार एवं घास आदि लगाकर पषुओं को गर्मी में उच्च गुणवत्ता का चारा हरा प्रदान कर सकते हैं।
समाचार क्रमांक 304-890
उन्होंने बताया कि एक वर्ष तक सुरक्षित अनाज भण्डार हेतु अनाज में नमी का स्तर गेहंू मेें 13-14 प्रतिशत चना में 11-12 प्रतिशत अरहर मंूग उडद में 10-11 प्रतिशत सरसों में 5-6 प्रतिशत तक नमी रहने से कीडे नही लगते है। बीज में नमी का स्तर जानने के लिए सूखे हुए अनाज को दांत से दबाने पर कट की आवाज आने तक सुखाये। उसके बाद ठण्डा होने पर उचित प्रकार से भण्डारण करें। कद्दूवग्रीय सब्जियों में लाल कीडा के नियंत्रण हेतु डायक्लोरोवास 1 से 1.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें। सब्जियों की चूसक कीट माहू, थ्रिप्स एवं जैसिड कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोरोप्रिड (17.8 प्रतिशत एस.एल) दवा 80-100 मिलीलीटर प्रति एकड की दर से 200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें। प्याज में पत्ती झुलसन एवं बैगनी धब्बा रोग के लक्षण दिखने पर मेंकोजेब 2.5 ग्राम और 10-15 दिन बाद कोपरआॅक्सी क्लोराईट 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल का छिडकाव करें। आम में शीर्ष गुच्छ या मेगों मेलफाॅर्मेशन, बीमारी के नियंत्रण के लिए ग्रसित शाखा को काटकर मिट्टी में दबा दें और कटाई उपरांत फफंूदनाशक दवा केप्टान दो ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करें उसके बाद प्लेनोफिक्स दवा दो ग्राम 10 लीटर पानी का घोलकर छिडकाव करें साथ में यूरिया दो प्रतिशत घोल छिडकने से फसल को लाभ होता है।
उन्होंने बताया कि सिंचाई सुविधा होने पर सरसों मसूर एवं चना फसल के खेतों की जुताई कर गर्मी की मंूग उडद की खेती हेतु पीला रोग प्रतिरोधक किस्मों का चयन करना चाहिए। उदाहरणतया मंूग हेतु पी.डी. एम. 02-03 एवं उडद हेतु आई पी यू 94-1 शेखर 2, शेखर 3 तथा थायोमेथाक्जाम (25 डब्लू पी.) दवासे 3 ग्रामप्रतिकि.ग्रामबीज की दरसेबीजोपचारकरने के उपरांत 8 कि.ग्रा. बीजप्रति एकड़ की दरसेबुआईकरें। गर्मी में मूंग उड़द की खेती से कृषक की तीसरी फसल के रूप में अतिरिक्त लाभ होगा साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति में बढोत्तरी भी होगी। रबी फसल की कटाई के बाद फसलों के अवषेषों को न जलायें क्योंकि इससे वातावरण प्रदूषित होता है। साथ ही साथ मित्र कीट एवं जीव नष्ट हो जाते हैं इसके अतिक्ति किसानों को तीन साल में एक बार गर्मी में गहरी जुताई अवष्य करनी चाहिए। सिंचाई सुविधा होने पर गर्मी मंे हरा चारा उत्पादन हेतु सुडान घास मक्कालोबिया, ज्वार, ग्वार एवं घास आदि लगाकर पषुओं को गर्मी में उच्च गुणवत्ता का चारा हरा प्रदान कर सकते हैं।
समाचार क्रमांक 304-890
Comments
Post a Comment