ग्राम बिरासन में मिर्च की खेती का वैज्ञानिक द्वारा अवलोकन

पन्ना 18 जनवरी 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डाॅं. बी. एस. किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख द्वारा 17 जनवरी को ग्राम बिरासन विकासखण्ड पवई में मिर्च उत्पादक कृषक पूरन सिंह के खेत पर कृषक समूह के साथ मिर्च की खेती का अवलोकन किया। फसल के अवलोकन के दौरान मिर्च के विपुल उत्पादन हेतु डाॅ. किरार द्वारा तकनीकी सलाह दी गयी। फसल की निंदाई, गुड़ाई कर नींदा अलग करे। उसके बाद मिर्च में पर्ण कंुचन (चुर्डा मुर्डा) रोग के लक्षण देखे गये। यह मिर्च का प्रमुख रोग है जो वायरस (विषाणु) से फैलता है। इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां मुड़ जाती है। उनका आकार छोटा रह जाता है। इसके नियंत्रण हेतु रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़ कर मिट्टी में गढ़ा देना चाहिए। मेड व खेत को नींदा रहित रखें। इस रोग को फैलाने का कार्य चूसक कीट सफेद मक्खी करती है

    उन्होंने बताया कि इसके नियंत्रण के लिये मिर्च का रोपा लगाने के पहले कार्बोफ्यूरान 3 प्रतिषत 08-10 कि.ग्रा. प्रति एकड़ खेत मे मिला दें। खड़ी फसल में रोग के लक्षण दिखने पर इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिषत दवा 0.4 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करंे और पुनः 15-20 दिन बाद एसीफेट 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे और एक सप्ताह बाद सल्फर 80 डब्ल्यू पी. 2-3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने से रोग प्रबंधन एव उत्पादन में भी अच्छा लाभ होगा। उसके बाद 25-30 कि.ग्रा. प्रति एकड़ यूरिया का छिड़काव करें। सर्दियों में हल्की सिंचाई 10-12 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
समाचार क्रमांक 150-150

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