वैज्ञानिकों द्वारा सब्जीत्पादकों को कीट व्याधियों के प्रबंधन पर सलाह

पन्ना 21 अगस्त 2018/कृषि विज्ञान केन्द्र, पन्ना के डाॅ. बी.एस. किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, डाॅ. आर.के. जायसवाल एवं डी.पी. सिंह, वैज्ञानिकों द्वारा विगत दिवस गांव जनवार में सब्जी उत्पादक के खेतों पर भ्रमण किया गया।
डाॅ. किरार ने बताया कि कृषकों के अनुसार ग्राम जनवार में लगभग 80 कृषकों के खेतों पर लगभग 100 एकड़ में खीरा, लौकी, करेला, गिल्की, कुम्हड़ा, बैगन आदि फसलें लगी हुयी है। वैज्ञानिकों ने कृषक जौनी, हेतराम, राजू, लखनलाल, लेखराम, कोमलबाई, राकेश आदि के खेतों पर भ्रमण एवं सब्जियों का अवलोकन किया गया। सब्जियों में खीरा एवं करेला में फल मक्खी कीट व पीला विषाणु तथा फल सड़न रोग देखा गया। भिण्डी मंे चूसक कीट थ्रीप्स एवं सफेद मक्खी तथा फल भेदक इल्ली, बैगन में तना फल भेदक इल्ली से ग्रसित पौधे देखे गये। वैज्ञानिकों द्वारा पीला मौजेक रोग, फल मक्खी, सफेद मक्खी, थ्रीप्स आदि कीटों के नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस.एल. 80-100 मिली प्रति एकड़ दवा 200 लीटर पानी मे घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गयी। भिण्डी तथा खीरा का पत्ती खाने वाली कीट नियंत्रण हेतु डायक्लोरो वास 2 एम.एल. या प्रोफेनोफाँस 2 एम.एल. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करे। खीरा एवं लौकी के फल सड़न रोकने के लिये कार्बेडाजिम $ मैंकोजेब दवा 2 ग्राम प्रति लीटर पानी मंे घोल बनाकर छिड़काव करने की जानकारी दी गयी। साथ ही किसानों को समझाया गया की मेड़ांे पर पीले पड़ने वाले पौधों को निकालकर गढ्डे में गढा देना चाहिए।
समाचार क्रमांक 280-2531
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