पवई जेल में घटित घटना के लिए श्री ओहरी जांच अधिकारी नियुक्त
पन्ना 04 जुलाई 18/जेल उप महानिरीक्षक (स्था.) मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा पवई जेल के अन्दर से फरार होने वाले बंदियों के फरारी प्रकरण की घटित घटना के कारणों की मजिस्ट्रीयल जांच म0प्र0 जेल नियम-1968 के नियम 332 के अन्तर्गत शीघ्र कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
जिला दण्डाधिकारी श्री मनोज खत्री ने बताया है कि बंदी नारायण पटेल पिता कल्लू पटेल निवासी ग्राम खम्हरिया थाना शाहनगर 29 मार्च 2018 को एवं विचाराधीन बंदी शिव सिंह पिता राजेन्द्र सिंह राठौर निवासी ग्राम धर्मपुरा थाना शाहनगर जिला पन्ना 8 मई 2018 को सब जेल पवई में प्रवेश हुए थे। दिनांक 17 जून 2018 को प्रातः लगभग 8.30 से 9 बजे के बीच जेल पवई के अन्दर से फरार हो गए थे। उन्होंने घटना की विस्तृत जांच हेतु म0प्र0 जेल नियम-1968 के नियम 332 के अन्तर्गत अपर जिला दण्डाधिकारी श्री अशोक ओहरी को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
उन्होंने बताया कि जांच अधिकारी संबंधित कैदी किन परिस्थितियों में जेल से बाहर भागने में कामयाब हुए। जेल प्रशासन/जेल नियमावाली के अनुसार प्रोटोकाल का विधिवत पालन किया गया है अथवा नही। जेल प्रशासन के द्वारा सुरक्षा में चूक या कोई लापरवाही तो नहीं की गयी, इसके लिए कौन जवाबदार है। भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए सुझाव। अन्य कोई महत्वपूर्ण बिन्दु जो जांच हेतु आवश्यक हो, बिन्दुओं पर जांच एक माह के अन्दर पूर्ण कर प्रतिवेदन भेजना सुनिश्चित करेंगे।
समाचार क्रमांक 41-1973
जिला दण्डाधिकारी श्री मनोज खत्री ने बताया है कि बंदी नारायण पटेल पिता कल्लू पटेल निवासी ग्राम खम्हरिया थाना शाहनगर 29 मार्च 2018 को एवं विचाराधीन बंदी शिव सिंह पिता राजेन्द्र सिंह राठौर निवासी ग्राम धर्मपुरा थाना शाहनगर जिला पन्ना 8 मई 2018 को सब जेल पवई में प्रवेश हुए थे। दिनांक 17 जून 2018 को प्रातः लगभग 8.30 से 9 बजे के बीच जेल पवई के अन्दर से फरार हो गए थे। उन्होंने घटना की विस्तृत जांच हेतु म0प्र0 जेल नियम-1968 के नियम 332 के अन्तर्गत अपर जिला दण्डाधिकारी श्री अशोक ओहरी को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
उन्होंने बताया कि जांच अधिकारी संबंधित कैदी किन परिस्थितियों में जेल से बाहर भागने में कामयाब हुए। जेल प्रशासन/जेल नियमावाली के अनुसार प्रोटोकाल का विधिवत पालन किया गया है अथवा नही। जेल प्रशासन के द्वारा सुरक्षा में चूक या कोई लापरवाही तो नहीं की गयी, इसके लिए कौन जवाबदार है। भविष्य में इस तरह की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए सुझाव। अन्य कोई महत्वपूर्ण बिन्दु जो जांच हेतु आवश्यक हो, बिन्दुओं पर जांच एक माह के अन्दर पूर्ण कर प्रतिवेदन भेजना सुनिश्चित करेंगे।
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