किसान भाईयों से नरवाई न जलाने की अपील
पन्ना 27 मार्च 18/यह समय गेंहू की फसल कटाई का है। किसान भाई अब अपने खेतों को अगली फसल के लिए तैयार करेंगे। कुछ क्षेत्रों में जहां गेंहू तथा धान की कटाई हार्वेस्टर से कराने का चलन बढा है। वहां किसानों द्वारा अगली फसल के लिए खेत खाली करने हेतु नरवाई को खेत में ही जला दिया जाता है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी आती है। मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीवों को नुकसान पहुंचता है। पर्यावरण को क्षति होती है और पशुओं के उपयोग में लाए जा सकने वाले फसल के अवशेष भी नष्ट हो जाते हैं।मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस प्रथा की रोकथाम के लिए अनेकों प्रयास किए जा रहे हैं। फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए उपयोगी यंत्रों जैसे-स्टॅªा रीपर, हैप्पी सीडर, जीरोटिलेज सीड ड्रिल, रोटावेटर, श्रेडर, मलचर, रीपर आदि यंत्रों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इन यंत्रों के उपयोग से नरवाई में आग लगाने की जरूरत नही होगी। नरवाई के भूसे में परिवर्तित होने से किसान भाईयों को अतिरिक्त लाभ भी प्राप्त होगा। इन यंत्रों को खरीदने के लिए किसानों को अनुदान सहायता भी दी जा रही है। राज्य सरकार द्वारा किसान भाईयों से फसल अवशेष प्रबंधन के इन नवीन कृषि यंत्रों को अपनाने और नरवाई में आग लगाने की प्रथा से मुक्ति दिलाने की अपील की गयी है।
समाचार क्रमांक 300-886
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