भावांतर भुगतान योजना चना, मसूर, सरसों एवं प्याज में किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया 12 मार्च तक
पन्ना 17 फरवरी 18/जिले में भावांतर भुगतान योजना अन्तर्गत चना, मसूर, सरसों एवं प्याज उत्पादक किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया 12 फरवरी से 12 मार्च 2018 तक एक माह की अवधि में पूर्ण किया जाना है। जिसका पंजीयन का कार्य गेंहू उपार्जन केन्द्रों के द्वारा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से सम्पादित किया जाना है।
जिला आपूर्ति अधिकारी बी.एस. परिहार ने बताया है कि कृषक पंजीयन हेतु भावांतर भुगतान योजना के आवेदन पत्र गेंहू उपार्जन केन्द्रों में उपलब्ध करा किए गए हैं। कृषक द्वारा पन्ना जिले के पंजीयन केन्द्र पर ही पंजीयन कराया जा सकेगा। जिस पंजीयन केन्द्र के सर्विस एरिया मं उसकी भूमि है कृषक पंजीयन के लिए उनकी समग्र परिवार आईडी, आधार नम्बर, बैंक खाता नम्बर, आईएफसी कोड बैंक शाखा सहित (बैंक खाता राष्ट्रीयकृत बैंक अथवा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा का होना अनिवार्य) भू-अधिकार ऋण पुस्तिका की स्वः प्रमाणित प्रति संलग्न करनी होगी। सिकमी अथवा बटाई की भूमि होने पर आवेदन में जिला तहसील, पटवारी हल्का नम्बर, ग्राम फसल का प्रकार, ऋण पुस्तिका क्रमांक, भूमि का खसरा नम्बर, कुल रकबा, बोई गयी फसल का रकबा एवं संभावित उपज की मात्रा किसान द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी के आधार पर प्रविष्ट की जाएगी। बोये गए रकबे का सत्यापन राजस्व विभाग के संबंधित अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। किसी भी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न होने पर कृषि विभाग, राजस्व विभाग एवं मंडी के अधिकारियों के समक्ष शिकायत दर्ज कराई जाकर समस्या का निराकरण कृषक करा सकेंगे।
समाचार क्रमांक 154-434
जिला आपूर्ति अधिकारी बी.एस. परिहार ने बताया है कि कृषक पंजीयन हेतु भावांतर भुगतान योजना के आवेदन पत्र गेंहू उपार्जन केन्द्रों में उपलब्ध करा किए गए हैं। कृषक द्वारा पन्ना जिले के पंजीयन केन्द्र पर ही पंजीयन कराया जा सकेगा। जिस पंजीयन केन्द्र के सर्विस एरिया मं उसकी भूमि है कृषक पंजीयन के लिए उनकी समग्र परिवार आईडी, आधार नम्बर, बैंक खाता नम्बर, आईएफसी कोड बैंक शाखा सहित (बैंक खाता राष्ट्रीयकृत बैंक अथवा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा का होना अनिवार्य) भू-अधिकार ऋण पुस्तिका की स्वः प्रमाणित प्रति संलग्न करनी होगी। सिकमी अथवा बटाई की भूमि होने पर आवेदन में जिला तहसील, पटवारी हल्का नम्बर, ग्राम फसल का प्रकार, ऋण पुस्तिका क्रमांक, भूमि का खसरा नम्बर, कुल रकबा, बोई गयी फसल का रकबा एवं संभावित उपज की मात्रा किसान द्वारा उपलब्ध कराई गयी जानकारी के आधार पर प्रविष्ट की जाएगी। बोये गए रकबे का सत्यापन राजस्व विभाग के संबंधित अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। किसी भी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न होने पर कृषि विभाग, राजस्व विभाग एवं मंडी के अधिकारियों के समक्ष शिकायत दर्ज कराई जाकर समस्या का निराकरण कृषक करा सकेंगे।
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