गांव के विकास मंे मील का पत्थर साबित होती प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक प्रधानमंत्री ग्रामीण सडकों से विकास की नई इबारत लिख रहे हैं गांव

 पन्ना 20 जुलाई 18/किसी क्षेत्र विशेष का विकास वहां पर बुनियादी सुविधाओं की सुलभ उपलब्धता पर निर्भर करता है। ऐसे में बडे शहरों तथा मुख्य मार्गो से जुडी बसाहटें तो आसानी से विकास की मुख्य धारा से जुड जाती है, लेकिन दूरस्थ अंचलों, पहाडी क्षेत्रों एवं जंगलों के अन्दर बसे गांव विकास की इस मुख्य धारा से अछूते रह जाते हैं। इसका मुख्य कारण इन बसाहटों का मुख्य मार्गो से सीधा सम्पर्क न हो पाना है। इस तथ्य को सामने रखते हुए देश के सवार्गींण विकास में मुख्य धारा से छूटी ऐसी बसाहटों और गांव के लोगों को जोडने के उद्देश्य से शासन द्वारा प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना वर्ष 2000 में प्रारंभ की गयी। योजना के उद्देश्य को पूरा करती यह सडकें केवल बारहमासी पहुंच मार्ग ही नही है बल्कि गांव के विकास मंे मील का पत्थर साबित हो रही है।

    योजना के अन्तर्गत निर्मित प्रधानमंत्री ग्रामीण सडकों से पन्ना जिले के गांव भी विकास की नई परिभाषा लिखने लगे हैं। जिले में अब तक कुल 276 प्रधानमंत्री ग्रामीण सडकों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है जिनसे 458 गांव विकास की मुख्य धारा में जुड गए हैं। शेष सडकों का निर्माण भी जारी है जिन्हें शीघ्र पूरा करने के लिए जिले में मध्यप्रदेश ग्रामीण सडक विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन की इकाई 1 एवं 2 पूर्ण प्रयासरत है। इन सडकों के निर्माण से मुख्य मार्गो से जुडे गांव न केवल अपना आर्थिक, सामाजिक विकास करने लगे हैं बल्कि उनके शैक्षणिक विकास एवं स्वास्थ्य में भी सकारात्मक बदलाव स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण पन्ना जिले की अजयगढ़ जनपद पंचायत का ग्राम भसूडा है।

    यह गांव पन्ना अजयगढ मुख्य मार्ग पर स्थित सिंहपुर से लगभग 5 किलो मीटर दूरी पर स्थित है। गांव का एकलौता पहुंच मार्ग है जिसमें एक बडी रूंझ नदी तथा दो बडे नाले पडते हैं। इससे ही कल्पना की जा सकती है कि इस मार्ग पर प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक निर्माण के पूर्व यहां के लोगों का जीवन कितना कठिन रहा होगा। वर्षाकाल में तो जैसे लोग एक टापू की तरह गांव में ही कैद हो जाते थे। गांव के चारों तरफ जंगल होने से पशुपालन यहां का मुख्य व्यवसाय है तथा दूध का उत्पादन भी पर्याप्त होता है। लेकिन पहले आवागमन के साधनों का अभाव होने के कारण यहां के लोग दुग्ध उत्पादन से आर्थिक लाभ नही ले पाते थे। कृषि उत्पाद भी विक्रय के लिए मण्डियों तक पहुंचाना बहुत ही कठिन था। गांव के बच्चे विशेषकर बेटियां 8वीं के बाद पढाई नही कर पाती थी। इतना ही नही दूरस्थ अंचल मंे होने के कारण तथा कठिनाई भरे कच्चे पहुंच मार्ग के कारण गांव में कोई भी विवाह नही कराना चाहता था। मार्ग के अभाव में समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नही होने से कई लोगों की असमय मृत्यु हो जाती थी। अत्याधिक वर्षा की स्थिति में लोगों को पैदल पहाड चढकर मुख्य मार्ग तक जाना पडता था जो बहुत ही कष्टप्रद होता था।

    ऐसे कठिनाई भरे कच्चे और एक मात्र पहुंच मार्ग वाले गांव भसूडा को मुख्य मार्ग से जोडना परियोजना इकाई पन्ना के लिए किसी बडी चुनौती से कम नही था। वर्ष 2013-14 मंे स्वीकृत 5 किलो मीटर लम्बाई के सिंहपुर से भसूडा पहुंच मार्ग का कार्य जनवरी 2014 में प्रारंभ हुआ। शुरूआत से ही कई कठिनाईयां सामने आयी जिनमें निजी भूमि का मार्ग की चैडाई में होना, रूंझ नदी के उस पार लगभग 2.5 किलो मीटर लम्बाई में वन भूमि का होना, साथ ही एक बडी नदी एवं दो नालांे में पुलों का निर्माण करना मुख्य चुनौतियां थी। इस संबंध में जानकारी लेने पर महाप्रबंधक मध्यप्रदेश ग्राम सडक विकास प्राधिकरण परियोजना क्रियान्वयन इकाई-1 पन्ना ने बताया कि सबसे पहले निजी भूमि के संबंध में ग्राम सिंहपुर एवं आस पास के ग्रामों के कृषकों से बार-बार सम्पर्क कर उनसे सहमति प्राप्त की गयी, वन विभाग उत्तर वनमण्डल पन्ना से सम्पर्क कर वन भूमि प्रकरण प्रेषित कर स्वीकृति ली गयी तथा मार्ग का कार्य प्रारंभ कराया गया। अगली चुनौती मार्ग में पडने वाली बडी नदी रूंझ में पुल का निर्माण करना था। स्वीकृत पुल की लाइन में पर्याप्त गहराई में पानी का बहाव पाया गया तथा इसमें फाउंडेशन की समस्या भी उत्पन्न हुई। जिसके बाद निर्धारित स्थल से पुल को कुछ नीचे की तरफ ले जाकर घुमावदार पुल का निर्माण कराया गया, जिसमंे फाउंडेशन मिल सका एवं सुदृढ स्ट्रक्चर तैयार हो सका। इसके बाद आगे के नालों पर भी 2 छोटे पुल बनाए गए। इन नालों के बीच में भी नदी के समानान्तर बहाव के कारण रोड कटाव की समस्या आयी। इसका भी समाधान कांक्रीट दीवाल एवं पिचिंग कराकर किया गया। मार्ग का कार्य जनवरी 2017 में पूर्ण कराया गया। जिसकी कुल लागत 385.18 लाख आयी।

    इसके निर्माण के साथ ही गांव के विकास का रास्ता खुल गया। आवागमन के लिए टैक्सी, टेम्पो तथा अन्य बडे वाहन सीधे गांव तक पहुंचने लगे। सामग्री का परिवहन भी आसानी से होने लगा है। छात्राएं अब माध्यमिक शिक्षा के बाद आगे की पढाई के लिए सिंहपुर, अजयगढ़, पन्ना जाने लगी। आवागमन सुलभ होने से चिकित्सा की सुविधा ग्रामवासियों को उपलब्ध हो पायी। गांव में होने वाले दुग्ध का विक्रय सीधे तहसील एवं जिला मुख्यालय तक होने से ग्रामवासियों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। कृषि उत्पाद भी सीधे विक्रय के लिए मंडी पहुंच जाते हैं जिससे किसानों को उचित मूल्य प्राप्त होेने लगा है। पहले जहां वर्षाकाल में वर्ष 2016 में हुए एक विवाह के दौरान निर्माणाधीन पुल पर आयी बाढ के कारण दो दिन तक वर के परिवार को कैम्प में रूकना पडा था तथा दूल्हे को जेसीबी के सहारे नदी पार कराकर विवाह सम्पन्न कराया गया था वहीं अब शादी विवाह एवं अन्य सामाजिक कार्यक्रम सरलता से सम्पन्न होने लगे हैं। विकास की इन नई परिभाषाओं को देखते हुए यह कहना अतिश्योक्ति नही होगा कि मार्ग का निर्माण गांव के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहा है। अब इस गांव के ही नही आप-पास क्षेत्र में रहने वाले लोग भी बहुत खुश है। क्योकि विकास के लिए अब सभी संसाधन असानी से मिल रहे है।
समाचार क्रमांक 263-2197

Comments

Popular posts from this blog

मुख्यमंत्री किसान विदेश अध्ययन यात्रा योजना आवेदन की अंतिम तिथि आज

पत्रकारों की त्रैमासिक बैठक आयोजित कलेक्टर ने सुनी पत्रकारों की समस्याएं, यथासंभव निराकरण का आश्वासन दिया अवैध उत्खनन की सूचना मिलते ही की जाएगी कार्यवाही-कलेक्टर

अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन अपात्र पाए गए 543 अध्यापकों का संविलियन रोका गया, 24 तक दर्ज कराएं आपत्ति