ग्राम जनवार के कृषक लक्ष्मणदास ने शुरू की मषरूम की खेती प्रशिक्षण प्राप्त कर छोटे स्तर पर मधुमक्खी पालन भी प्रारंभ किया
पन्ना 12 अप्रैल 18/विकास खण्ड पन्ना अंतर्गत ग्राम जनवार में कृषक लक्ष्मणदास सुखरामनी द्वारा अपने फार्म में आधुनिक तरीके से मषरूम की खेती की जा रही है। उन्नतषील कृषक लक्ष्मणदास सुखरामनी द्वारा जे.एन.के.व्ही.व्ही. जबलपुर से आयस्टर मषरूम की खेती किये जाने हेतु आयस्टर मषरूम के स्पाॅन मंगाए गए। इस संबंध में जानकारी देते हुए सहायक संचालक उद्यानिकी श्री एम.एम. भट्ट ने बताया कि कृषक द्वारा मषरूम की खेती करने हेतु सबसे पहले फार्मेलीन एवं बाविस्टीन का घोल तैयार किया गया। उसके बाद गेंहू के भूसे को 14 से 16 घन्टे के लिये तैयार किये गये घोल में डुबो कर रखा गया, ताकि वह अंदर तक पानी सोख लें। कृषक द्वारा इसे ड़लवा फर्ष पर रखा गया, जिससे भूसे का अनावष्यक पानी निकल जाए तथा इसमें 60-70 प्रतिषत नमी रह जाए। कृषक द्वारा स्पाॅन को भूसे में मिलाकर पाॅलीथीन में भरकर रबड़बेण्ड या धागे से बांध दिया गया, इसके बाद पाॅलीथीन को ऐसे कमरे में जहां का तापमान 20 से 30 डिग्री सेन्टीग्रेड एवं नमी 70 से 80 प्रतिषत हो, वहां टांग दिया गया। साथ ही सूर्य का प्रकाष कमरे में सीधे न पडे़, इसका विषेष ध्यान कृषक द्वारा रखा गया। नमी बनायें रखने के लिये दिन में एक या दो बार स्प्रेयर से पानी का छिड़काव किया गया। इस तरह पहली फसल 20 से 25 दिन में प्राप्त होगी।
कृषक लक्ष्मणदास सुखरामनी ने सभी कृषकों से कहा है कि अधिक से अधिक कृृषक मषरूम की खेती करें, क्योंकि मषरूम एक मात्र ऐसा आहार है, जो प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकता है। यह शरीर की वृद्वि के लिये अति आवष्यक है। साथ ही कुपोषण की समस्या को दूर करता है एवं आमदनी का अच्छा स्त्रोत भी है। इसके साथ ही उन्होंने उद्यानिकी विभाग द्वारा आयोजित मधुमक्खी पालन का 7 दिवसीय प्रषिक्षण प्राप्त किया है। जिससे प्रभावित होकर छोटे स्तर पर मधुमक्खी पालन की शुरूआत की है। कृषक लक्ष्मणदास कहते है कि यह मेरी आमदनी का आगामी वर्षो में अच्छा स्त्रोत होगा। मधुमक्खी पालन से एक ओर जहां शहद व मोम प्राप्त होता है, वही दूसरी ओर राॅयल जैली, पराग, पर पाॅलीस एवं माॅनविस का भी उत्पादन किया जा सकता है। राॅयल जैली एक महत्तवपूर्ण उत्पाद है एवं एनर्जी फू्रड के रूप में पराग का उपयोग किया जा सकता हैं। मधुमक्खी पालन कम लागत में आमदनी का अच्छा स्त्रोत है। इसके अलावा कृषक लक्ष्मणदास मिनी शेडनेट हाउस तैयार कर मक्के की हाईड्रोफोनिक (बिना मिट्टी के) खेती भी कर रहे हैं।
समाचार क्रमांक 104-1022
कृषक लक्ष्मणदास सुखरामनी ने सभी कृषकों से कहा है कि अधिक से अधिक कृृषक मषरूम की खेती करें, क्योंकि मषरूम एक मात्र ऐसा आहार है, जो प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकता है। यह शरीर की वृद्वि के लिये अति आवष्यक है। साथ ही कुपोषण की समस्या को दूर करता है एवं आमदनी का अच्छा स्त्रोत भी है। इसके साथ ही उन्होंने उद्यानिकी विभाग द्वारा आयोजित मधुमक्खी पालन का 7 दिवसीय प्रषिक्षण प्राप्त किया है। जिससे प्रभावित होकर छोटे स्तर पर मधुमक्खी पालन की शुरूआत की है। कृषक लक्ष्मणदास कहते है कि यह मेरी आमदनी का आगामी वर्षो में अच्छा स्त्रोत होगा। मधुमक्खी पालन से एक ओर जहां शहद व मोम प्राप्त होता है, वही दूसरी ओर राॅयल जैली, पराग, पर पाॅलीस एवं माॅनविस का भी उत्पादन किया जा सकता है। राॅयल जैली एक महत्तवपूर्ण उत्पाद है एवं एनर्जी फू्रड के रूप में पराग का उपयोग किया जा सकता हैं। मधुमक्खी पालन कम लागत में आमदनी का अच्छा स्त्रोत है। इसके अलावा कृषक लक्ष्मणदास मिनी शेडनेट हाउस तैयार कर मक्के की हाईड्रोफोनिक (बिना मिट्टी के) खेती भी कर रहे हैं।
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