राष्ट्रीय फायलेरिया दिवस 14 मार्च को निःशुल्क खिलायी जाएगी फायलेरिया रोधी दवा
पन्ना 20 फरवरी 18/मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार इस वर्ष राष्ट्रीय फायलेरिया दिवस का आयोजन 14 मार्च 2018 को किया जाना हैं। जिला मलेरिया अधिकारी श्री हरिमोहन रावत ने बताया है कि 14, 15 एवं 16 मार्च तक पन्ना जिले के निवासियों को स्वास्थ्य एवं स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर जाकर निःशुल्क फायलेरिया, (हाथीपांव एवं हाइड्रोसिल) रोधी दवा का सेवन अपने समक्ष कराया जावेगा। यह दवा 2 वर्ष से छोटे बच्चों, अतिवृद्ध, गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों और गर्भवती माताआंे को नही देना है। शेष सभी को भोजन के बाद एक गिलास पानी साथ इस दवा का सेवन करना है।
उन्होंने बताया है कि फायलेरिया रोधी दवा डी.ई.सी. एवं एलवेण्डाजाॅल का सेवन करने के पश्चात् यदि बुखार या सिरदर्द जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। तब स्वास्थ्य केन्द्र से अथवा जिला स्तर पर दूरभाष क्र. 07732-250105 पर संपर्क करें। इस दवा के सेवन से हल्का बुखार केवल उसी व्यक्ति को आता हैं। जिसके शरीर में पहले से ही फायलेरिया के क्रमि मौजूद हैं। यह अपने आप में फायलेरिया की जाँच हुई हैं। जो लोग पन्ना स्थित जिला फायलेरिया/मलेरिया कार्यालय पहुँचकर रात में 8 बजे के बाद जाँच नही करा सकते है। ऐसे लोगो को सलाह दी जाती है कि वह फायलेरिया दवा का सेवन करके न केवल स्वयं की जाँच कर सकते है। उन्होंने बताया कि दवा का सेवन खाली पेट न करें। दवा 2 से 5 वर्ष आयु वर्ग के लिए डीईसी की 2 गोली एवं एलवेण्डाजाॅल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के लिए डीईसी की 2 गोली एवं एलवेण्डाजाॅल की एक गोली तथा 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए डीईसी की 3 गोली एवं एलवेण्डाजाॅल की एक गोली खिलाई जाएगी। गंदे पानी में पैदा होने वाले संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने के पश्चात् इस बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 4 माह से 9 वर्ष तक का समय लग सकता है।यदि पूरा समुदाय फायलेरिया रोधी दवा का वर्ष में एक बार एक साथ सेवन 5 से 8 वर्ष तक करें तो फायेलरिया बीमारी को समाज से दूर किया जा सकता है।
उन्होंने सभी से अनुरोध किया है कि फायेलरिया रोधी दवा का स्वयं सेवन करें साथ ही दूसरों को भी प्रेरित करें और शरीर के किसी भी अंग में अचानक आने वाली सूजन एंव विकृति को रोकें। विशेष रूप से हाथ, पैर, स्तन ग्रंथियों और अंडकोष में प्रायः अचानक सूजन फायलेरिया कृमि से सवंमित मच्छर के काटने से पैदा होती है। पन्ना जिले में पर्यटन एंव प्रवास करने वाले अपने परिचितों को भी इस गोली का सेवन उनकी एवं अपनी सुरक्षा के लिये अवश्य करायें। वर्तमान में पन्ना जिले में फायलेरिया (हाथीपांव एवं हाइड्रोसिल) के कुल 1580 मरीज पंजीकृत हैं। पन्ना जिला फायलेरिया के मामले में मध्यप्रदेश में छतरपुर के बाद द्वितीय स्थान पर हैं। अब फायलेरिया के वाहक क्यूलेक्स मच्छर प्रायः गंदे पानी के गढढो, नालियो में पैदा होते है इनकी सफाई करें अथवा कोई भी तेल डालकर अथवा जल निकास बनाकर फायलेरिया मच्छरो को पैदा होने से रोका जा सकता हैं। यहाँ स्मरणीय है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के खून में फायलेरिया कृमि हो सकते है। डी.ई.सी गोली फायलेरिया कृमि के लार्वा को मारती है जबकि एलवेण्डाजाॅल गोली फायलेरिया के वयस्क कृमि को मारती हैं।
समाचार क्रमांक 188-468
उन्होंने बताया है कि फायलेरिया रोधी दवा डी.ई.सी. एवं एलवेण्डाजाॅल का सेवन करने के पश्चात् यदि बुखार या सिरदर्द जैसे लक्षण प्रकट होते हैं। तब स्वास्थ्य केन्द्र से अथवा जिला स्तर पर दूरभाष क्र. 07732-250105 पर संपर्क करें। इस दवा के सेवन से हल्का बुखार केवल उसी व्यक्ति को आता हैं। जिसके शरीर में पहले से ही फायलेरिया के क्रमि मौजूद हैं। यह अपने आप में फायलेरिया की जाँच हुई हैं। जो लोग पन्ना स्थित जिला फायलेरिया/मलेरिया कार्यालय पहुँचकर रात में 8 बजे के बाद जाँच नही करा सकते है। ऐसे लोगो को सलाह दी जाती है कि वह फायलेरिया दवा का सेवन करके न केवल स्वयं की जाँच कर सकते है। उन्होंने बताया कि दवा का सेवन खाली पेट न करें। दवा 2 से 5 वर्ष आयु वर्ग के लिए डीईसी की 2 गोली एवं एलवेण्डाजाॅल की एक गोली, 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के लिए डीईसी की 2 गोली एवं एलवेण्डाजाॅल की एक गोली तथा 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए डीईसी की 3 गोली एवं एलवेण्डाजाॅल की एक गोली खिलाई जाएगी। गंदे पानी में पैदा होने वाले संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने के पश्चात् इस बीमारी के लक्षण प्रकट होने में 4 माह से 9 वर्ष तक का समय लग सकता है।यदि पूरा समुदाय फायलेरिया रोधी दवा का वर्ष में एक बार एक साथ सेवन 5 से 8 वर्ष तक करें तो फायेलरिया बीमारी को समाज से दूर किया जा सकता है।
उन्होंने सभी से अनुरोध किया है कि फायेलरिया रोधी दवा का स्वयं सेवन करें साथ ही दूसरों को भी प्रेरित करें और शरीर के किसी भी अंग में अचानक आने वाली सूजन एंव विकृति को रोकें। विशेष रूप से हाथ, पैर, स्तन ग्रंथियों और अंडकोष में प्रायः अचानक सूजन फायलेरिया कृमि से सवंमित मच्छर के काटने से पैदा होती है। पन्ना जिले में पर्यटन एंव प्रवास करने वाले अपने परिचितों को भी इस गोली का सेवन उनकी एवं अपनी सुरक्षा के लिये अवश्य करायें। वर्तमान में पन्ना जिले में फायलेरिया (हाथीपांव एवं हाइड्रोसिल) के कुल 1580 मरीज पंजीकृत हैं। पन्ना जिला फायलेरिया के मामले में मध्यप्रदेश में छतरपुर के बाद द्वितीय स्थान पर हैं। अब फायलेरिया के वाहक क्यूलेक्स मच्छर प्रायः गंदे पानी के गढढो, नालियो में पैदा होते है इनकी सफाई करें अथवा कोई भी तेल डालकर अथवा जल निकास बनाकर फायलेरिया मच्छरो को पैदा होने से रोका जा सकता हैं। यहाँ स्मरणीय है कि किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के खून में फायलेरिया कृमि हो सकते है। डी.ई.सी गोली फायलेरिया कृमि के लार्वा को मारती है जबकि एलवेण्डाजाॅल गोली फायलेरिया के वयस्क कृमि को मारती हैं।
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