माटी बनी आजीविका का साधन
पन्ना 09 जुलाई 18/आज से कुछ वर्षो पूर्व प्रीति के पास भरण पोषण के लिए आजीविका का कोई साधन नही था। मजदूरी कर जैसे-तैसे वह अपना परिवार चला रही थी। लेकिन अब उसके गांव की माटी उसकी आजीविका का साधन बन गयी है। वह मिट्टी के बर्तन बनाकर प्रतिदिन 100 से 150 रूपये कमा लेती हैं। प्रीति के लिए यह सब आसमानी तेजस्विनी महिला स्व-सहायता समूह की मदद से संभव हो सका है।
श्रीमती प्रीति प्रजापति पन्ना जिले के पवई विकासखण्ड की ग्राम करही की निवासी हैं। प्रीति बताती हैं कि लोकेशन पवई के अन्तर्गत ग्राम करही में आसमानी तेजस्विनी महिला स्व-सहायता समूह का गठन कुछ वर्षो पहले किया गया था। उस समय जब समूह बनाए जा रहे थे तब मेरे पास आजीविका का कोई साधन नही था। मैं मजदूरी का काम करती थी। ग्राम में तेजस्विनी कार्यक्रम आने के बाद उसके फायदों की जानकारी मिली। जिसके बाद मैं भी अच्छे दिनों की उम्मीद बांधे हुए आसमानी तेजस्विनी महिला स्वसहायता समूह से जुड गयी। समूह की सारी गतिविधियां समझी और लगातार बचत जमा करती रही। जिसके बाद मुझे समूह के माध्यम से वीरांगना तेजस्विनी महिला संघ पवई से 10 हजार रूपये का लोन प्राप्त हुआ। फिर मैंने मिट्टी के बर्तन बनाने की गतिविधि प्रारंभ कर दी। अब मुझे प्रतिदिन 100 से 150 रूपये की आमदनी हो जाती है। जिससे मैं अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी कर लेती हॅू। तेजस्विनी की मदद से आज माटी मेरी आजीविका का साधन बन गयी है। जिसके लिए मैं महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जिले में चलाए जा रहे तेजस्विनी कार्यक्रम के लिए शासन का धन्यवाद देती हॅू।
समाचार क्रमांक 106-2040
श्रीमती प्रीति प्रजापति पन्ना जिले के पवई विकासखण्ड की ग्राम करही की निवासी हैं। प्रीति बताती हैं कि लोकेशन पवई के अन्तर्गत ग्राम करही में आसमानी तेजस्विनी महिला स्व-सहायता समूह का गठन कुछ वर्षो पहले किया गया था। उस समय जब समूह बनाए जा रहे थे तब मेरे पास आजीविका का कोई साधन नही था। मैं मजदूरी का काम करती थी। ग्राम में तेजस्विनी कार्यक्रम आने के बाद उसके फायदों की जानकारी मिली। जिसके बाद मैं भी अच्छे दिनों की उम्मीद बांधे हुए आसमानी तेजस्विनी महिला स्वसहायता समूह से जुड गयी। समूह की सारी गतिविधियां समझी और लगातार बचत जमा करती रही। जिसके बाद मुझे समूह के माध्यम से वीरांगना तेजस्विनी महिला संघ पवई से 10 हजार रूपये का लोन प्राप्त हुआ। फिर मैंने मिट्टी के बर्तन बनाने की गतिविधि प्रारंभ कर दी। अब मुझे प्रतिदिन 100 से 150 रूपये की आमदनी हो जाती है। जिससे मैं अपने परिवार की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी कर लेती हॅू। तेजस्विनी की मदद से आज माटी मेरी आजीविका का साधन बन गयी है। जिसके लिए मैं महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए जिले में चलाए जा रहे तेजस्विनी कार्यक्रम के लिए शासन का धन्यवाद देती हॅू।
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