अब मैं मजदूरी नही करती-खुद व्यवसायी बन गयी हॅू तेजस्विनी समूह ने किया आर्थिक समस्या का हल
पन्ना 22 जून 18/गुनौर जनपद पंचायत के ग्राम सेल्हा निवासी श्रीमती सुनीता विश्वकर्मा बडी ही प्रसन्नता के साथ बताती हैं कि अब मैं मजदूरी नही करती। मैंने अपना स्वयं का व्यवसाय शुरू कर मैं व्यवसायी बन गयी हॅू। उन्होंने बताया कि स्वयं सिद्धा तेजस्विनी महिला संघ सलेहा से जुडकर समूह के साथ आपस में आंशिक लेनदेन शुरू किया। नियमित होने वाली बैठक में मैं हमेशा उपस्थित होती थी। एक दिन बैठक में मैंने अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बताया तो समूह के सदस्यों ने विचार करते हुए किराना दुकान खोलने के लिए 30 हजार रूपये का ऋण मुझे स्वीकृत किया गया।
मेरे द्वारा 30 हजार रूपये ऋण राशि एवं 30 हजार रूपये स्वयं के बचत के मिलाकर 60 हजार रूपये की सामग्री किराना दुकान के लिए थोक व्यापारी के यहां से क्रय कर ग्राम सेल्हा में किराने की एक छोटी सी दुकान खोल ली। प्रारंभ में 200 से 250 रूपये प्रतिदिन की आय होने लगी। मैंने हार नही मानी धीरे-धीरे दुकान में आवश्यकता के अनुसार सामग्री को बढाया तो मुझे प्रतिदिन 350 रूपये से 400 रूपये की आमदनी होने लगी। इस आमदनी से उनके परिवार का भरण-पोषण अच्छे से होने लगा। बच्चे पढाई करने लगे। श्रीमती सुनीता नियमित रूप से समूह की बैठक में खुद उपस्थित होती है और सदस्यों को उपस्थित कराती है।
श्रीमती सुनीता कहती हैं यह एक बहुत अच्छी योजना है जिससे महिलाओं का कल्याण हो रहा है। इससे मेरी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है अब मैं कही मजदूरी करने नही जाती स्वयं के व्यवसाय से कमा कर परिवार का भरण-पोषण कर रही हॅू और सम्मानपूर्वक जीवन जी रही हॅू। मैं चाहूंगी मेरी तरह ही अन्य महिलाएं भी स्व-सहायता समूह बनाकर आगे बढें और अपने सामाजिक, आर्थिक एवं पारिवारिक स्तर में सुधार लाकर स्बावलम्बी बनें।
समाचार क्रमांक 269-1826
मेरे द्वारा 30 हजार रूपये ऋण राशि एवं 30 हजार रूपये स्वयं के बचत के मिलाकर 60 हजार रूपये की सामग्री किराना दुकान के लिए थोक व्यापारी के यहां से क्रय कर ग्राम सेल्हा में किराने की एक छोटी सी दुकान खोल ली। प्रारंभ में 200 से 250 रूपये प्रतिदिन की आय होने लगी। मैंने हार नही मानी धीरे-धीरे दुकान में आवश्यकता के अनुसार सामग्री को बढाया तो मुझे प्रतिदिन 350 रूपये से 400 रूपये की आमदनी होने लगी। इस आमदनी से उनके परिवार का भरण-पोषण अच्छे से होने लगा। बच्चे पढाई करने लगे। श्रीमती सुनीता नियमित रूप से समूह की बैठक में खुद उपस्थित होती है और सदस्यों को उपस्थित कराती है।
श्रीमती सुनीता कहती हैं यह एक बहुत अच्छी योजना है जिससे महिलाओं का कल्याण हो रहा है। इससे मेरी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है अब मैं कही मजदूरी करने नही जाती स्वयं के व्यवसाय से कमा कर परिवार का भरण-पोषण कर रही हॅू और सम्मानपूर्वक जीवन जी रही हॅू। मैं चाहूंगी मेरी तरह ही अन्य महिलाएं भी स्व-सहायता समूह बनाकर आगे बढें और अपने सामाजिक, आर्थिक एवं पारिवारिक स्तर में सुधार लाकर स्बावलम्बी बनें।
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