जन समुदाय को लू (तापघात) के प्रकोप से बचाव हेतु सुझाव
पन्ना 05 मई 18/भारतीय मौसम विभाग द्वारा जारी चेतावनी अनुसार प्रदेश के अधिकांश भागों में मई-जून माह में लू का प्रकोप जारी रहने की संभावना है। प्रदेश में पिछले 15 वर्षो के आंकडों के अध्ययन से यह तथ्य परिलक्षित होता है कि ऐसे वयस्क व्यक्ति लू से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं जो लू के दौरान दिन में खुले में रहकर कार्य करते हैं। जिसके कारण उन पर अत्यधिक ताप तथा आद्रता का प्रभाव पड़ता है। इनमें अधिकांश वह श्रमिक होते हैं जो कृषि, उद्योग अथवा अन्य व्यापारिक अथवा औद्योगिक गतिविधियों में सम्मिलित होते हैं। लू से होने वाली इस जनहानि को आवश्यक सावधानी लेकर कम किया जा सकता है।
लू (तापघात) के प्रभाव, लक्षण एवं प्राथमिक उपचार
लू के कारण अनेक तरह के प्रभाव पड़ते हैं। जिन्हें सूर्य दाह (सन बर्न), ताप के कारण शारीरिक ऐठन (हीट क्रैम्प), अत्याधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव तथा ताप दाह (हीट स्ट्रोक) के रूप में देखा जा सकता है। सूर्य दाह के लक्षणों को त्वचा पर लाल चकत्ते आना, सूजन, फफोले, बुखार, सिर दर्द आदि के माध्यम से पहचाना जा सकता है। ऐसी स्थिति में प्रभावित को बार-बार नहलाना चाहिए जिससे त्वचा के छिद्रों से तैलिय पदार्थ निकल जाएं। यदि फफोले निकल आए हो तो स्टरलाइज ड्रेसिंग करें तथा चिकित्सक का परामर्श लें। हीट क्रैम्प को पैरों, पेट की मांस पेशियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफदेह एठन एवं अतिरिक्त पसीना आने के लक्षणों से पहचाना जा सकता है। इस स्थिति में प्रभावित को तत्काल छायादार स्थल पर ले जाना चाहिए। ऐठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबाकर धीरे-धीरे सहलाना चाहिए। प्रभावित को शीतल जल, छांछ अथवा पना पिलाएं। यदि उसे उबकायी आ रही हो तो शीतल पेय पिलाना बन्दकर तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाना चाहिए।
इसी तरह अत्याधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव को अत्याधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, शरीर ठंडा होना तथा पीला पड जाना, सिर दर्द, नब्ज कमजोर पड जाना, मूर्छित होना, उल्टी आना आदि लक्षणों से पहचाना जा सकता है। ऐसी स्थिति में प्रभावित को छायादार स्थल पर लेटाकर शरीर पर ठंडे एवं गीले कपडे से स्पंजिंग करनी चाहिए। संभव हो तो उसे वातानुकूलित कमरे में ले जाना चाहिए। प्रभावित को शीतल पेय पिलाना चाहिए। उबकायी आने की स्थिति में तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र ले जाना चाहिए। ताप दाह (हीट स्ट्रोक) को अत्याधिक बुखार, अत्याधिक सूखी एवं गर्म त्वचा, तेज नब्ज, बेहोशी आदि लक्षणों से पहचाना जा सकता है। इसमें प्रभावित व्यक्ति को पसीना नही आना चाहिए। यह अत्यंत चिंताजनक एवं चिकित्सा की दृष्टि से आपात स्थिति होती है। तत्काल 108 सेवा को बुलाकर प्रभावित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। एम्बुलेन्स के आने तक उसे किसी शीतल वातानुकूलित स्थान पर ले जाना चाहिए। कपडों को ढीलाकर आरामदेह स्थिति में लेटा दें। प्रभावित के शरीर पर ठंडे एवं गीले कपडे से स्पंजिंग करनी चाहिए। किसी भी प्रकार पेय पदार्थ पीने को नही देना चाहिए। आवश्कतानुसार सीपीआर क्रिया शुरू करनी चाहिए।
कलेक्टर श्री मनोज खत्री ने जिलेवासियों से इन उपायों को अपनाते हुए लू से बचाव की अपील की है।
समाचार क्रमांक 52-1250
लू (तापघात) के प्रभाव, लक्षण एवं प्राथमिक उपचार
लू के कारण अनेक तरह के प्रभाव पड़ते हैं। जिन्हें सूर्य दाह (सन बर्न), ताप के कारण शारीरिक ऐठन (हीट क्रैम्प), अत्याधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव तथा ताप दाह (हीट स्ट्रोक) के रूप में देखा जा सकता है। सूर्य दाह के लक्षणों को त्वचा पर लाल चकत्ते आना, सूजन, फफोले, बुखार, सिर दर्द आदि के माध्यम से पहचाना जा सकता है। ऐसी स्थिति में प्रभावित को बार-बार नहलाना चाहिए जिससे त्वचा के छिद्रों से तैलिय पदार्थ निकल जाएं। यदि फफोले निकल आए हो तो स्टरलाइज ड्रेसिंग करें तथा चिकित्सक का परामर्श लें। हीट क्रैम्प को पैरों, पेट की मांस पेशियों अथवा शरीर के बाहरी भागों में तकलीफदेह एठन एवं अतिरिक्त पसीना आने के लक्षणों से पहचाना जा सकता है। इस स्थिति में प्रभावित को तत्काल छायादार स्थल पर ले जाना चाहिए। ऐठन वाले शरीर के भाग को जोर से दबाकर धीरे-धीरे सहलाना चाहिए। प्रभावित को शीतल जल, छांछ अथवा पना पिलाएं। यदि उसे उबकायी आ रही हो तो शीतल पेय पिलाना बन्दकर तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र पर ले जाना चाहिए।
इसी तरह अत्याधिक थकावट एवं शारीरिक खिचाव को अत्याधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, शरीर ठंडा होना तथा पीला पड जाना, सिर दर्द, नब्ज कमजोर पड जाना, मूर्छित होना, उल्टी आना आदि लक्षणों से पहचाना जा सकता है। ऐसी स्थिति में प्रभावित को छायादार स्थल पर लेटाकर शरीर पर ठंडे एवं गीले कपडे से स्पंजिंग करनी चाहिए। संभव हो तो उसे वातानुकूलित कमरे में ले जाना चाहिए। प्रभावित को शीतल पेय पिलाना चाहिए। उबकायी आने की स्थिति में तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र ले जाना चाहिए। ताप दाह (हीट स्ट्रोक) को अत्याधिक बुखार, अत्याधिक सूखी एवं गर्म त्वचा, तेज नब्ज, बेहोशी आदि लक्षणों से पहचाना जा सकता है। इसमें प्रभावित व्यक्ति को पसीना नही आना चाहिए। यह अत्यंत चिंताजनक एवं चिकित्सा की दृष्टि से आपात स्थिति होती है। तत्काल 108 सेवा को बुलाकर प्रभावित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। एम्बुलेन्स के आने तक उसे किसी शीतल वातानुकूलित स्थान पर ले जाना चाहिए। कपडों को ढीलाकर आरामदेह स्थिति में लेटा दें। प्रभावित के शरीर पर ठंडे एवं गीले कपडे से स्पंजिंग करनी चाहिए। किसी भी प्रकार पेय पदार्थ पीने को नही देना चाहिए। आवश्कतानुसार सीपीआर क्रिया शुरू करनी चाहिए।
कलेक्टर श्री मनोज खत्री ने जिलेवासियों से इन उपायों को अपनाते हुए लू से बचाव की अपील की है।
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