नेशनल लोक अदालत-कई मामलों का हुआ सफलतापूर्वक निराकरण; पुरानी रंजिशें भुलाकर कई बिखरे परिवार हुए एक ; ना कोई जीता ना कोई हारा, लोक अदालत का यही है नारा



पन्ना 22 अप्रैल 18/नालसा के निर्देशानुसार एवं माननीय जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पन्ना श्री राजेश कुमार कोष्टा के कुशल मार्गदर्शन में पन्ना न्यायालय एवं तहसील न्यायालयों में लोक अदालत का सफल कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिला न्यायालय पन्ना में श्री राजेश कुमार कोष्टा की अध्यक्षता में 22 अप्रैल 2018 को एडीआर सेन्टर जिला न्यायालय परिसर पन्ना में दीप प्रज्ज्वलन तथा माॅ सरस्वती एवं राष्ट्रपिता महात्मा गाॅधी के तस्वीर पर पुष्प-माला अर्पित कर नेशनल लोक अदालत का गरिमापूर्ण शुभारंभ किया गया।


शुभारंभ कार्यक्रम में विशेष न्यायाधीश एवं समन्वयक लोक अदालत श्री अमिताभ मिश्र, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ जे.के. राव तैलंग, अपर सत्र न्यायाधीश श्री अनुराग द्विवेदी, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री माखनलाल झोड़, सीजीएम श्री आमोद आर्य एवं अन्य न्यायाधीशगण, श्री मुहम्मद जीलानी जिला विधिक सहायता अधिकारी, जिला पंचायत सीईओ श्री गिरीश मिश्रा, डीएफओ दक्षिण श्रीमती मीना मिश्रा, अपर कलेक्टर श्री अशोक ओहरी एवं अन्य विभागों के अधिकारीगण, अधिवक्ता संघ पदाधिकारीगण, अधिवक्तागण, सुलहकर्ता सदस्यगण, सामाजिक कार्यकर्ता एवं पक्षकारगण सहित न्यायालयीन एवं प्राधिकरण के स्टाॅफ की उपस्थिती रही। 

 पुरानी रंजिशें भुलाकर कई बिखरे परिवार हुए एक

वर्ष की इस दूसरी नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिले के समस्त न्यायालय में किया गया। जिसमें कुल 12 खण्डपीठों द्वारा 2 सैकड़ा से भी अधिक के प्रकरणों का सफलतापूर्वक निराकरण किया गया। जिसमें पुरानी रंजिशें भुलाकर कई बिखरे परिवार एक हुए। आपसी सहमति से हुए राजीनामा के मामलों में पक्षकारों को न्यायालय की ओर से समर्पण के प्रतीक पुष्पों की माला पहनाई जाकर एवं खुशहाली के प्रतीक पौधे वितरण कर लोक अदालत के उद्देश्य को पूर्ण किया गया। 

श्रीमती प्राची गुप्ता को वापस मिला उसका ससुराल, ससुर के पैर छूकर आशीर्वाद लिया- नेशनल लोक अदालत के माध्यम से श्री अमिताभ मिश्रा के न्यायालय मंे श्रीमती प्राची गुप्ता को उसका ससुराल वापस मिला। श्रीमती प्राची का विवाह हिन्दू रीतिरिवाज के अनुसार 2009 में हुआ था। ससुराल वाले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे। इसी बीच प्राची के पति की अचानक तबियत खराब होने से मृत्यु हो गयी थी। लेकिन उसके ससुराल वाले उसे और उसकी बेटी कुहू को अपनाने तैयार नही थे। प्राची को शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताडित करने के साथ ही सम्पत्ति में हक देने से मना कर दिया था। जिस पर प्राची द्वारा ससुराल वालों के विरूद्ध घरेलु हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत न्यायिक मजिस्ट्रेट अजयगढ के न्यायालय में आवेदन पेश किया गया। न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा प्राची को साझा गृहस्थी से बेदखल न करने एवं 50 हजार रूपये का प्रतिकर देने का आदेश पारित किया गया था। जिसके विरूद्ध उसके ससुराल वालों द्वारा अपील प्रस्तुत की गयी। प्रस्तुत अपील को राजीनामा के आधार पर निराकृत कर दिया गया है। उसके ससुर को 2 दिन के अन्दर प्राची को 20 हजार रूपये नगद प्रदान करने एवं उसकी पुत्री के नाम 60 हजार रूपये की एफडी करने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही श्रीमती प्राची और उसकी पुत्री को उसके स्वर्गीय पति के हक व हिस्से की चल अचल सम्पत्ति में हिस्सा भी दिया जाएगा। बहू ने ससुर के पैर छूकर पुरानी वैमनस्यता का अंत करते हुए आशीर्वाद लिया और हंसी-खुशी अपने घर लौटे। इस दौरान न्यायाधीश श्री अमिताभ मिश्रा द्वारा दोनों पक्षकारों को निःशुल्क पौधे वितरित किए गए।


राजीनामा से खत्म हुआ भूमि विवाद

पीठासीन अधिकारी श्री अनुराग द्विवेदी की अदालत में राजीनामा से भूमि विवाद को समाप्त किया गया। यह प्रकरण रमेश कुमार एवं श्रीमती रत्ती बाई से संबंधित था। जिसमें पीठासीन अधिकारी एवं सुलहकर्ता सदस्यों की समझाईस पर राजीनामा करवाया गया। दोनों पक्षकारों ने आपसी वैमनस्य को भुलाकर सुलह करते हुए लोक अदालत के उद्देश्य को पूर्ण किया। 

महिला परामर्श केन्द्र के माध्यम से पति-पत्नी हुए एक

श्रीमती वंदना सिंह के न्यायालय में महिला परामर्श केन्द्र के माध्यम से खण्डपीठ में पति-पत्नी का प्रकरण रखा गया था। जिसमें पत्नी लगभग 8 माह से अपने पति से अलग रह रही थी और पति के द्वारा कई बार बुलाने पर भी नही आयी। प्रकरण में सुलहकर्ता सदस्य एवं पीठासीन अधिकारी द्वारा पक्षकारों को समझाया गया। जिसके बाद उन्होंने अपनी मर्जी से राजीनामा कर लिया। 

आवेदिका मंजू लोधी और अनावेदक कडोली लोधी के बीच भी राजीनामा सफल रहा। इसी तरह न्यायालय में चल रहे परिवाद अशोक पटेल विरूद्ध हिसाबी पटेल में पक्षकारों ने स्वैच्छा से बिना किसी डर दबाव के राजीनामा किया। 

नेशनल लोक अदालत के सफलतम मामलों में सभी पक्षकारों द्वारा एक-दूसरे को माला पहनाई गयी। न्यायाधीश एवं सुलहकर्ता सदस्यों द्वारा पक्षकारों को निःशुल्क पौधों का वितरण किया गया। 
समाचार क्रमांक 203-1121

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