फसलों को पाला से बचाव हेतु तकनीकी सलाह

पन्ना 01 जनवरी 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डाॅं. बी. एस. किरार वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख एवं वैज्ञानिक डाॅं आर. के. जायसवाल ने वर्तमान मौसम को देखते हुये कृषकांे को पाला से फसलों को बचाने की सलाह दी गई है। उन्होंने बताया कि जब तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है और हवा चलना रूक जाये तो रात में पाला पड़ सकता है इसी प्रकार दोपहर में ठंडी हवा चले फिर रूक जाए तथा आसमान में बादल ना हो तो पाले की संम्भावना अधिक हो जाती है। पाला व शीत लहर टमाटर, आलू, मिर्च, बैगन, व भिण्डी आदि सब्जियों तथा फलांे में पपीता, आम, केला और फसलों में चना, मसूर, मटर, अरहर, अलसी, गन्ना एवं धनियाॅ आदि फसलों को प्रभावित कर सकता है। पाला से फसल को 40 से 90 प्रतिशत तक नुकसान की सम्भावना रहती है। पाले से पौधे की पत्तियाॅ व फूल झुलस जाते है। अधपके फल सिकुड़ कर एवं काले पड़ कर गिर जाते है एवं फलियाॅ व बालियांे में दाने नही बनते जिससे फसल का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होता है। पाला से बचाव के लिये फसलों की सिंचाई करें, कम क्षेत्र में नर्सरी के पौधों को ऊपर से प्लास्टिक से छत्र बनाये, अर्ध रात्रि में सामूहिक रूप से खेत के उत्तर-पष्चिम दिषा में धुआ करें तथा पौधों को पुआल या घासफूस से ढके। इसके अलावा कुछ रासायनिक उपाय के अन्तर्गत 1 लीटर गंधक के तेजाब को 1000 ली. पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें। सल्फर 80 फीसदी पाउडर की तीन कि.ग्रा. मात्रा को प्रति एकड़ में छिडकाव कर सिंचाई कर दें या सल्फर 80 फीसदी पाउडर की 40 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिडकाव करें या थायोयूरिया (5 ग्राम/10 लीटर पानी) का घोल बनाकर छिडकाव करें।

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