श्यामगिरि के कृषकों को मुनगा की तकनीक पर प्रषिक्षण एवं पौधा वितरण
पन्ना 09 जनवरी 18/कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के डाॅ. बी.एस. किरार, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, वैज्ञानिक डाॅ. आर. के. जायसवाल एवं डाॅ. आर. पी. सिहं द्वारा विगत दिवस ग्राम- श्यामगिरि (कल्दा पठार) के कृषकों को मुनगा उत्पादन तकनीक पर प्रषिक्षण दिया गया साथ ही उन्हें मुनगा (किस्म पी. के. एम. 1) के पौधे भी वितरित किये गये। प्रषिक्षण के दौरान कृषको को मुनगा के बारे में बताया गया कि इसके जड़, तना, पत्तियों एवं फलियों आदि भागों के औषधीय एवं पोषक महत्व है। इसका प्रयोग प्रायः बुखार, गठिया, अतिसार, आंखों की बिमारियांे, भूख, या हृदय रोगों तथा अन्य कई तरह की बिमारियों में लाभकारी होता है। इसके बीज से प्राप्त तेल का उपयोग घड़ियों तथा मषीनों आदि के लुब्रिकेषन में किया जाता है और इसकी खली का उपयोग खेतों में खाद के रूप में किया जाता है। इसके पत्तियों का उपयोग पशुओ के चारे के उपयोग में किया जाता हैं।
डाॅ. किरार ने बताया कि मुनगा में आयरन, कैल्षियम तथा विटामिन ए. एवं. सी. प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। प्रषिक्षण में कृषकों को मुनगा उत्पादन तकनीक के अन्तर्गत भूमि का चुनाव, जलवायु, उन्नत किस्में- पी. के. एम. 1 , के. एम. 1, रोहित, कोयम्बटूर 2 तथा रोपड़ तकनीक के अन्तर्गत गड्ढे का आकार 45 से. मी. लम्बा, 45 से. मी. चैड़ा, 45 से. मी. गहरा बनाये और पौधे से पौधे की दूरी 2.5 से 3 मी. रखने के बारे में बताया गया। पुराने मुनगा के पौधे से एक वर्ष के तना को काटकर पहले से तैयार गड्ढो में लगा देवे तथा तने से शीघ्र जड़ निकलने के लिये रूटेक्स-सी हारमोन्स का उपयोग करें। पौधा लगाने के तीन माह बाद प्रति गड्ढे 40-50 ग्राम नत्रजन, 20-25 ग्राम फास्फोरस तथा 30 ग्राम पोटाष प्रति पौधा गुडाई उपरान्त मिलाकर सिंचाई कर देनी चाहिए। प्रषिक्षण के दौरान रबी फसलों के रोग एव कीट-व्याधियों के प्रबन्धन के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी।
समाचार क्रमांक 80-80
डाॅ. किरार ने बताया कि मुनगा में आयरन, कैल्षियम तथा विटामिन ए. एवं. सी. प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। प्रषिक्षण में कृषकों को मुनगा उत्पादन तकनीक के अन्तर्गत भूमि का चुनाव, जलवायु, उन्नत किस्में- पी. के. एम. 1 , के. एम. 1, रोहित, कोयम्बटूर 2 तथा रोपड़ तकनीक के अन्तर्गत गड्ढे का आकार 45 से. मी. लम्बा, 45 से. मी. चैड़ा, 45 से. मी. गहरा बनाये और पौधे से पौधे की दूरी 2.5 से 3 मी. रखने के बारे में बताया गया। पुराने मुनगा के पौधे से एक वर्ष के तना को काटकर पहले से तैयार गड्ढो में लगा देवे तथा तने से शीघ्र जड़ निकलने के लिये रूटेक्स-सी हारमोन्स का उपयोग करें। पौधा लगाने के तीन माह बाद प्रति गड्ढे 40-50 ग्राम नत्रजन, 20-25 ग्राम फास्फोरस तथा 30 ग्राम पोटाष प्रति पौधा गुडाई उपरान्त मिलाकर सिंचाई कर देनी चाहिए। प्रषिक्षण के दौरान रबी फसलों के रोग एव कीट-व्याधियों के प्रबन्धन के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गयी।
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