बच्च¨ं की बीमारिय¨ं की पहचान के लिये जुलाई अंत तक घर-घर चलेगा दस्तक अभियान

पन्ना 05 जुलाई 18/प्रदेश में बाल मृत्यु दर के प्रमुख कारण¨ं क¨ दृष्टिगत रखते हुए स्वास्थ्य एवं प¨षण सेवाअ¨ं के सामुदायिक विस्तार के लिये दस्तक अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के सहय¨ग से प्रदेशभर में चलाया जा रहा है। इसमें पाँच वर्ष से छ¨टे बच्च¨ं वाले परिवार¨ं के घर पर आशा, एएनएम अ©र आँगनबाड़ी कार्यकर्ता के संयुक्त दल द्वारा 31 जुलाई तक दस्तक दी जायेगी।

दस्तक अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्च¨ं में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारिय¨ं की सामुदायिक स्तर पर सक्रिय पहचान द्वारा त्वरित प्रबंधन किया जाना है, जिससे बाल मृत्यु दर में वांछित कमी लाई जा सके। शासन द्वारा स्वास्थ्य एवं प¨षण सेवाअ¨ं के विस्तार के लिये साक्ष्य आधारित रणनीति पर विशेष बल दिया गया है। एसआरएस-2016 के अनुसार प्रदेश में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्च¨ं में मृत्यु दर 55 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इसके प्रमुख कारण¨ं में बाल्यकालीन दस्त र¨ग एवं निम¨निया है अ©र कुप¨षण एवं एनीमिया अन्तर्निहित कारण हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 68.9 प्रतिशत बच्चे एनीमिक एवं 9.2 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुप¨षित हैं। समुचित स्तनपान द्वारा शिशु मृत्यु दर में लगभग 22 प्रतिशत कमी लाना संभव है। राज्य में लगभग 81 प्रतिशत महिलाअ¨ं द्वारा संस्थागत प्रसव का लाभ लेने पर भी केवल 35 प्रतिशत नवजात शिशुअ¨ं क¨ ही माँ पहला गाढ़ा पीला दूध का लाभ मिल रहा है।

अभियान की प्रमुख गतिविधिय¨ं में बीमार नवजात¨ं अ©र बच्च¨ं की पहचान कर प्रबंधन एवं रेफरल, बच्च¨ं ने शैशव एवं बाल्यकालीन निम¨निया की त्वरित पहचान कर प्रबंधन एवं रेफरल, बच्च¨ं में बाल्यकालीन दस्त र¨ग के नियंत्रण के लिये अ¨आरएस एवं जिंक के उपय¨ग संबंधी समझाईश अ©र प्रत्येक घर में अ¨आरएस पहुँचाना, गंभीर कुप¨षित बच्च¨ं की सक्रिय पहचान कर रेफरल एवं प्रबंधन, छरू माह से पाँच वर्ष तक के बच्च¨ं में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, बच्च¨ं में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतिय¨ं की पहचान, न© माह से पाँच वर्ष तक के सभी बच्च¨ं क¨ विटामिन-ए अनुपूरण, गृहभेंट के द©रान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्च¨ं की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना, समुचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति व्यवहार क¨ बढ़ावा, एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्च¨ं में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फाॅल¨अप क¨ प्र¨त्साहन तथा विगत छरू माह में बाल मृत्यु की जानकारी हासिल करना शामिल है।

अभियान में प्रदेश के सभी 5 वर्षीय बच्च¨ं तक सामुदायिक पहुँच बनाकर दस्तक दल द्वारा गंभीर कुप¨षण, गंभीर बीमारी, गंभीर एनीमिया, दस्त एवं निम¨निया से ग्रस्त बच्च¨ं की सक्रिय पहचान की जायेगी। साथ ही, शिशु एवं बाल आहार-पूर्ति व्यवहार¨ं क¨ बढ़ावा, हाथ धुलवाई एवं अ¨.आर.एस. बनाने की विधि का प्रदर्शन तथा कम वजन बच्च¨ं की उचित देखभाल के लिये सामुदायिक समाझाईश दी जायेगी। अभियान में बीमार बच्च¨ं का उपचार, जटिल गंभीर कुप¨षित बच्च¨ं का प्रबंधन, गंभीर एनीमिक बच्च¨ं में रक्ताधान तथा दस्त र¨ग एवं निम¨निया की र¨कथाम की जायेगी। इस के लिए दस्तक माॅनीटरिंग टूल का निर्माण विभाग द्वारा किया गया है।

वर्ष 2018-19 दस्तक अभियान के प्रथम चरण में अब तक 1,02,55,435 बच्च¨ं की सक्रिय स्क्रीनिंग की जा चुकी है। अभियान के विगत चरण में 63.40 लाख बच्च¨ं की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें से 8883 गंभीर कुप¨षित सह चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्च¨ं क¨ प¨षण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर उपचारित किया गया। गंभीर एनीमिया से ग्रसित 1206 बच्च¨ं क¨ रक्ताधान किया गया। गंभीर निम¨निया से ग्रसित 1213 तथा डायरिया से ग्रसित 1412 बच्च¨ं का उपचार किया गया। अभियान के द©रान 9 माह से 5 वर्ष के 53.66 लाख बच्च¨ं क¨ विटामिन-ए की खुराक पिलाई गई। लगभग 25.58 लाख बच्च¨ं के परिवार¨ं क¨ शिशु एवं बाल आहार पूर्ति, हाथ धुलाई, दस्त प्रबंधन आदि के संबंध में समझाईश दी गई। 
समाचार क्रमांक 63-1997पन्ना 05 जुलाई 18/प्रदेश में बाल मृत्यु दर के प्रमुख कारण¨ं क¨ दृष्टिगत रखते हुए स्वास्थ्य एवं प¨षण सेवाअ¨ं के सामुदायिक विस्तार के लिये दस्तक अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के सहय¨ग से प्रदेशभर में चलाया जा रहा है। इसमें पाँच वर्ष से छ¨टे बच्च¨ं वाले परिवार¨ं के घर पर आशा, एएनएम अ©र आँगनबाड़ी कार्यकर्ता के संयुक्त दल द्वारा 31 जुलाई तक दस्तक दी जायेगी।

दस्तक अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्च¨ं में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारिय¨ं की सामुदायिक स्तर पर सक्रिय पहचान द्वारा त्वरित प्रबंधन किया जाना है, जिससे बाल मृत्यु दर में वांछित कमी लाई जा सके। शासन द्वारा स्वास्थ्य एवं प¨षण सेवाअ¨ं के विस्तार के लिये साक्ष्य आधारित रणनीति पर विशेष बल दिया गया है। एसआरएस-2016 के अनुसार प्रदेश में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्च¨ं में मृत्यु दर 55 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इसके प्रमुख कारण¨ं में बाल्यकालीन दस्त र¨ग एवं निम¨निया है अ©र कुप¨षण एवं एनीमिया अन्तर्निहित कारण हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 68.9 प्रतिशत बच्चे एनीमिक एवं 9.2 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुप¨षित हैं। समुचित स्तनपान द्वारा शिशु मृत्यु दर में लगभग 22 प्रतिशत कमी लाना संभव है। राज्य में लगभग 81 प्रतिशत महिलाअ¨ं द्वारा संस्थागत प्रसव का लाभ लेने पर भी केवल 35 प्रतिशत नवजात शिशुअ¨ं क¨ ही माँ पहला गाढ़ा पीला दूध का लाभ मिल रहा है।

अभियान की प्रमुख गतिविधिय¨ं में बीमार नवजात¨ं अ©र बच्च¨ं की पहचान कर प्रबंधन एवं रेफरल, बच्च¨ं ने शैशव एवं बाल्यकालीन निम¨निया की त्वरित पहचान कर प्रबंधन एवं रेफरल, बच्च¨ं में बाल्यकालीन दस्त र¨ग के नियंत्रण के लिये अ¨आरएस एवं जिंक के उपय¨ग संबंधी समझाईश अ©र प्रत्येक घर में अ¨आरएस पहुँचाना, गंभीर कुप¨षित बच्च¨ं की सक्रिय पहचान कर रेफरल एवं प्रबंधन, छरू माह से पाँच वर्ष तक के बच्च¨ं में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, बच्च¨ं में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतिय¨ं की पहचान, न© माह से पाँच वर्ष तक के सभी बच्च¨ं क¨ विटामिन-ए अनुपूरण, गृहभेंट के द©रान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्च¨ं की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना, समुचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति व्यवहार क¨ बढ़ावा, एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्च¨ं में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फाॅल¨अप क¨ प्र¨त्साहन तथा विगत छरू माह में बाल मृत्यु की जानकारी हासिल करना शामिल है।

अभियान में प्रदेश के सभी 5 वर्षीय बच्च¨ं तक सामुदायिक पहुँच बनाकर दस्तक दल द्वारा गंभीर कुप¨षण, गंभीर बीमारी, गंभीर एनीमिया, दस्त एवं निम¨निया से ग्रस्त बच्च¨ं की सक्रिय पहचान की जायेगी। साथ ही, शिशु एवं बाल आहार-पूर्ति व्यवहार¨ं क¨ बढ़ावा, हाथ धुलवाई एवं अ¨.आर.एस. बनाने की विधि का प्रदर्शन तथा कम वजन बच्च¨ं की उचित देखभाल के लिये सामुदायिक समाझाईश दी जायेगी। अभियान में बीमार बच्च¨ं का उपचार, जटिल गंभीर कुप¨षित बच्च¨ं का प्रबंधन, गंभीर एनीमिक बच्च¨ं में रक्ताधान तथा दस्त र¨ग एवं निम¨निया की र¨कथाम की जायेगी। इस के लिए दस्तक माॅनीटरिंग टूल का निर्माण विभाग द्वारा किया गया है।

वर्ष 2018-19 दस्तक अभियान के प्रथम चरण में अब तक 1,02,55,435 बच्च¨ं की सक्रिय स्क्रीनिंग की जा चुकी है। अभियान के विगत चरण में 63.40 लाख बच्च¨ं की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें से 8883 गंभीर कुप¨षित सह चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्च¨ं क¨ प¨षण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर उपचारित किया गया। गंभीर एनीमिया से ग्रसित 1206 बच्च¨ं क¨ रक्ताधान किया गया। गंभीर निम¨निया से ग्रसित 1213 तथा डायरिया से ग्रसित 1412 बच्च¨ं का उपचार किया गया। अभियान के द©रान 9 माह से 5 वर्ष के 53.66 लाख बच्च¨ं क¨ विटामिन-ए की खुराक पिलाई गई। लगभग 25.58 लाख बच्च¨ं के परिवार¨ं क¨ शिशु एवं बाल आहार पूर्ति, हाथ धुलाई, दस्त प्रबंधन आदि के संबंध में समझाईश दी गई। 
समाचार क्रमांक 63-1997

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